sakshi kaushik   (- कौशिक साक्षी)
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Joined 13 September 2020


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Joined 13 September 2020
10 APR 2023 AT 23:12

खुली आँखों से तुम एक वज़ीर देखती हो
भूल कर खुदा को तुम उसके नजीर देखती हो
इंतजार लम्बा है पतझड़ से सावन आने में
क्यों अपने हाथो में उसके लकीर देखती हो

-साक्षी कौशिक

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23 DEC 2022 AT 0:04



यदि समस्या है आज ,
कल समाधान भी होगा
चल रहे है जमीं पर अभी ,
कल आसमान भी होगा

चंचल चेतना है चित्त की ,
चित्त कभी नादान भी होगा
अगर है मोहम्मद गोरी जिंदा
तो पृथ्वीराज चौहान भी होगा

प्रफुल्लित सा जो है ये मन
किसी क्षण परेशान भी होगा
आज है पारावार सा संघर्ष
कल सफलता का शान भी होगा

- साक्षी कौशिक


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6 NOV 2022 AT 0:22

मन की मुराद है अंततः चलते रहना
जब तक पैरों में थकान न हो

औचित्य क्या है चलते रहने का
जब तक शिखर में ढ़लान न हो

कीमत ही क्या उस गंतव्य की
जिसमें मन अत्यधिक हलकान न हो

बिखरा देंगे उस संचित निधि को
जिसमें धैर्य का मकान न हो

- साक्षी कौशिक

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11 MAY 2022 AT 6:08

जिसमें नही था सुकून वहीं सुकून खोज लिया
जिंदगी में जिंदगी से मुलाकात हमने रोज किया

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8 MAY 2022 AT 9:02

Dear अम्मा <3

क्या लिखूं तुम्हारे लिए मैं
तुमने खुद ही मुझे लिखा है ,

तुम्हारी डांट भी पसंद है मुझे
कुछ सीखना तो तुमसे ही सीखा है

सुकून मिलती है तुम्हारी बातों से
जैसे चाँद मिल ही जाती है रातों से

काश मैं भी बन पाऊँ तुम्हारे जैसी
कुछ अनुवांशिकी के मुलाकातों से

- साक्षी कौशिक .






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7 APR 2022 AT 21:04


" खिड़की "


आज भी मैं बैठती हूँ अकेले
उस खिड़की के पास
जो निराशा के अंधियारे को
उम्मीद सा कुछ प्रतीत कराती है ....

शायद सुकून सा कुछ दिखता है
उस खिड़की के पास
जो मेरे सपनों को गले लगाकर
बुरी चीजों को अतीत कराती है ....

गहरी रात और शुरुआती भोर में
चमकता हुआ सा वो ध्रुव तारा
उसकी अमिट यादों को तार तार कर
भविष्य सा कुछ भयभीत कराती है ....

- साक्षी कौशिक



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10 MAR 2022 AT 18:51

........

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23 FEB 2022 AT 19:18

चाय है या ...

रंग रंग के प्यालों में
झलकता है स्वाद
नशा है या है कोई
जख्म का इलाज
बूँद बूँद में अपना
छाप ही छोड़ता ये
चाय है या कोई राज
उबल कर उठते धुँए
वो मीठी सी खुशबू
सर दर्द को चीरकर
नई ताजगी देती हुई
ये चाय है या मरहम
ये जीवन का हिस्सा
है खुशी हो या गम
रंग ही बहुत प्यारा है
इलायची से थोड़ी सी
टकराव की ये मिठास
मन प्रफुल्लित करता
ये चाय है या कोई है
अधिकतम ही ख़ास ....

- साक्षी कौशिक

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21 FEB 2022 AT 18:52

रूठे हुए से शब्द
और वक्त का तकाजा
शायद खामोशी में भी
शोर है जैसे कोई जनाजा

चंचल सी चरित्र पर
चुप्पी की ये ताजगी
चुभते है जैसे ये प्रेमी
चिड़ियों की नाराजगी

- साक्षी कौशिक

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18 FEB 2022 AT 18:07




रंगों की सुंदरता का क्या करे
रंग काला ही बेहद बेहतरीन है
सभी रंगो को अवशोषित करके
काला रंग ही तो सबसे रंगीन है

- साक्षी कौशिक

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