Sakshi Jaiswal   (Sakshi Jaiswal अल्फाज✍️)
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Joined 25 August 2020


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29 APR 2024 AT 11:05

कभी-कभी छोटे भाई बड़े भाई का फर्ज निभाते हैं... अपनी सारी ख्वाहिशों को भूल जिंदगी से लड़ना सिखाते हैं .......!!!

Sakshi jaiswal अल्फाज ✍️✍️

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11 APR 2022 AT 21:07

उन्हें खबर तक नहीं थी ,की हम कहां खो गए
जो ख्वाबों में भी साथ थे... ना जानें वो कहा खो गए

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11 APR 2022 AT 21:01

झूठे इन्सान इस तरह तोड़ जाते है, की फिर किसी और पर विश्वास नही कर पाते

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4 MAR 2022 AT 21:06

कुछ राज है ऐसे ,
छिपे जज़्बात हो जैसे
बिखरे पन्नों के अल्फाज हो जैसे ,
कुछ अधूरी कहानी के किरदार हो जैसे....!!!

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19 JAN 2022 AT 19:18

उन ज़ख्मो का हिसाब देते जाना ,उन झूठे वादों को तोड़ तुम्हारा चले जाना, हमे बीच राह में छोड़ जाना.....

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19 JAN 2022 AT 19:07

अक्सर वो रात लंबी हुआ करती है ,जो दर्द से भरी रहती है ...काली घटाओं की तरह छाई रहती है, अक्सर वो और रात लंबी हुआ करती है ......

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9 JAN 2022 AT 20:36

इन झूठे लोगों से खुद को बचाना है ,अपनी दुनिया खुद बनाना है.. जहां आंखों में आंसू ना हो, लबों पर झूठे मुस्कान ना हो .. जहां जंजीरों से बंदे सपने ना हो, जहां काले आसमान ना हो .....!!!!!

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30 DEC 2021 AT 21:08

कितना कुछ अनकहा रहे गया , जिन्दगी के आखिरी पन्ने का साथ था... बीच पन्ने में ही अधूरा रहे गया।।।।

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5 DEC 2021 AT 20:23

लिखी मैंने अपनी जिंदगी की थोड़ी सी सच्चाई ,अल्फाजों में ही मैंने अपनी पहचान बनाई..

"ना डॉक्टर ना इंजीनियर "बस कलम से अपनी पहचान बनाऊं ✍️ खुले हैं आसमान बस अपनी जंजीरों को भी खोल पाऊं.... कुछ ऐसा लिख जाऊं अपनी हर मंजिल को पा जाऊं .. मेरी पहचान मैं खुद बना पाऊं , गिरि तो उठना सीख जाऊं.. बिखरे सपनों को उड़ान दे पाऊं....।।।।।

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28 NOV 2021 AT 20:13

मैने वह मंजर भी देखा है ,उड़ते हुए पंछी को गिरते हुए देखा है...
मैंने वह मंजर भी देखा है ,टूटते हुए इंसान को संभलते हुए देखा है...
झूठे मुस्कान के साथ लोगों को जीते हुए देखा है , अपने गमो को खुद में छुपाते हुए देखा ...
मैंने वह मंजर भी देखा है, हौसलों को उड़ान भरते हुए देखा .....!!!!

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