थक गया हूं अब जीवन की सभी परेशानियों से,
लगता है अब पेड़ भी अपनी परछाइयों का हिसाब मांग रहे हैं।।-
मेरे खयाल का उसने खयाल इस तरह रखा,
कि हर पल मेरे खयाल में उसी का खयाल आया।।-
हम बाहर की नहीं अंदर की जंग से परेशान थे,
लोग हमारी नादानियां देख कर हैरान थे,
आंखों में नमी और होटों पर मुस्कान लिए,
हम खुद अपने इस हुनर से अंजान थे।।-
इतनी कश्मकश मे है कि रुकने को सबर नहीं,
चले तो चले कैसे आगे की कोई खबर नहीं।।-
असमय ही इस समय ने कुछ ऐसा समय दिखाया,
की समय समय पर वो बीता हुआ समय मुझे याद आया।।-
ज़िंदगी भर के ग़म मैने इसी उम्र में समेट लिए,
लगता हैं आगे अब जन्नत ही लिखी है।।-
कुछ लम्हे तो कट गए,
वो कुछ बेवफा लोगो में बट गए,
घड़ी की सुई को पकड़ कर बैठा हूं,
अब बस इसी बात को रटता रहता हूं,
तुम्हें बस ये बताना चाहता हूं,
अब बाकी उम्र तेरे संग बिताना चाहता हूं।।-
मेरे शब्द ही मेरी कहानी है,
कोई समझे तो मोती है
नहीं तो बस बहता पानी है।।-
मेरी खामोशियों का सबने अपनी समझ से मतलब निकाल लिया,
किसी ने शातिर समझा, तो किसी ने नासमझ करार दिया ।।-
सब अपने हिस्से की सलाह दे कर चले जाते हैं,
पर कभी किसी ने ये न पूछा परेशान क्यूं हो?-