ये जिंदगी है सबब दोस्तो का साथ है
हम शुक्रिया कह नही पाते नही तो हम भी अखलाक होते,
अभी कुछ दिनों से तबियत नागवार सी है
वरना दोस्तो से मिलने को पहुंचे हम तापक होते,
वो दोस्ती वो यारी सब दिल में लिए बैठे हैं
अगर ये हाल ना होता जमाने का तो कैसे कई अपनी गलतियों से माफ होते,
ये मेरे अपने और दोस्तो की दुवाओं ने जिंदा रखा हमें
वर्ना साकेत भी कबके सुपूर्दे-ए- खाक़ होते-
किसी के लिए भी खुली किताब ना बनो
जाहिलियत का दौर है पढ़कर फेक दिये जाओगे,
यहा मजबूत से मजबूत लोहा टूट जाता है,
और जो झूठो के दौर में सच्चे हो
सुधर जाओ अभी सिर्फ झुठो की मिल्कियत है
अपने सच्चाई से टूट जाओगे,-
अब कोई मिले तो युं मिले की
उसके मिलने से सुकून मिले
अब कब तक कोई सिर्फ मतलबियो से मिले,
अब कोई ऐसा मिले की जिसके मिलने से दिल खिले-
आँखों से भरोसे के ख्वाब
उतारे जाये,
कर लेंगे दोस्ती पहले नक़ाब
उतारे जाये
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उन आंखों को ढूंढने में ज़माना निकलेगा,
जिन आंखों से एक आंसू हमारा निकलेगा,
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मुझे अब अपने किरदार पे इतना तो यकीन है ,की कोई मुझे छोड़ सकता है
मगर भुला नहीं सकता ,
अब मैंने कैसे रखी सबसे ये दिल्लगी ,
बाकी जिसने भी की हमसे बेरुखी ,
मेरे समय आने पे मुझे वापिस बुला नहीं सकता है-
इसलिए भी नहीं रखते अपना ख्याल
कभी तो हाल पूछते हुए आओगी ,
इसलिए भी नहीं गुजरते तुम्हारी गली से ,
कभी ना दिखूं तो कम से कम मिलने तो आओगी ,
होली पे मिली थी तुम रंगो के साथ ,
क्या पता था दीवाली बेरंग करके जाओगी,
इसलिए भी नहीं रखते अपना खयाल-
ज़ख्मी परिंदे की तरह जाल में हम हैं,
ए इश्क अभी तक तेरे जंजाल में हम हैं,
और हस्ते हुए होठो ने भरम रखा हमारा,
ओ देखने आया था किस हाल में हम हैं,
अब आपकी मर्जी है, संभाले न संभाले खुशबू की तरह आपके रुमाल में हम हैं,
एक ख्वाब की सूरत ही सही याद है अब तक मां कहती थी ले ओढ़ ले इस साल में हम हैं-
बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ ,
उठाया जब गोद में मां ने तब आसमान छुआ ,
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आयी
मैं घर में सबसे छोटा था घर में मेरे हिस्से मां आयी
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मेरा पानी उतरता देख, किनारे पे घर ना बना लेना
मै समंदर हूं फिर लौट कर आऊंगा
तुम्हारा तो वक्त आया है अपना दौर लाऊंगा ,
तुमने अभी हलचल देखी ही समन्दर की ,अब तूफानों का जोर लाऊंगा.
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