*सिर्फ है, कहने-सुनने के ज़्यादा विषय नहीं प्रेम पर घूम-फिरकर आती है बात। जब कहीं जाती नहीं दीखती फाख्ता की तरह ऋतु पर बैठ जाती है। आख़ीर में ले-देकर जाने की बात ।*
*आगे कुछ दिखाई नहीं देता। ऐसा यह शब्द है जिसका मानी नहीं पता। दुनिया की किसी डिक्शनरी में इससे वर्तनी नहीं है। तो असल बात कॉम्प्रीहेंशन की है-प्रसंग से अर्थ*
*_मिलती-जुलती भी_*
*समझ लीजिए, इतना ही। उस शाम के बाद मेरी भाषा वैसी नहीं रही-*
*_यदि समझने में मुश्किल हो तो आप भी प्रसंग से समझ लीजिए।_*
*-साकेत* ❤️-
#Gorakhpur, #CMcity,
#live in Lucknow,(the city of Nawab),
#Government employ... read more
*धन्यवाद मेरे आंखों की रोशनी के लिए*
*धन्यवाद मेरे तंदुरुस्त स्वास्थ्य के लिए*
*धन्यवाद शांतिपूर्ण सुबह के लिए*
*धन्यवाद प्रकृति के हर वस्तु के लिए*
*धन्यवाद ये पेड़ पौधे पंछियों के लिए*
*धन्यवाद सुबह की ठंडी ठंडी हवाओं के लिए*
*धन्यवाद आज के मौसम के लिए*
*धन्यवाद आज के दिन मेरी आंखें खुलने के लिए*
*धन्यवाद दिन की सबसे पहली सांसे महसूस करने के लिए*
*_- साकेत_* ❤️-
*बात बस इतनी सी है कि जिस पेड़ से हम हर वक़्त छाँव की उम्मीद लगा बैठते हैं, वो पेड़ खुद भी बहुत से हालातों का मोहताज होता है, सूरज की स्थिति, दिन का कोई पहर, मौसम का रूख और भी न जाने क्या क्या?*
*_केवल इसलिए कि हम उस पेड़ के सूरज की स्थिति नही देख पाते, दिन का कौन सा पहर है नही देख पाते, कौन सा मौसम है नही देख पाते, हमारा यह मान लेना कि वो पेड़ हमें छांव ही नही देना चाहता, बड़ा बेमानी सा लगता है.._*
*सूरज की स्थिति भी बदलेगी, दिन का पहर भी बदलेगा, यह मौसम भी बदलेगा, वो छाँव फिर से लौटेगी, इतना दूर का देख पाना, समझ पाना, जीवन में उतार पाना, यही जीवन है..*
*_साकेत_* ❤️-
*खामियां उसमें भी थी जिसका हाथ हम छोड़ आए हैं, खामियां उसमें भी है जिसका हाथ हमने अब थामा है, खामियां हम में भी है जो अपनी सहूलियतों के हिसाब से दूसरों में खामियां ढूंढने में माहिर है...*
*_केवल अपनी खामियां छुपाने के लिए दूसरों में खामियां ढूंढने का ये खेल सदियों से चलता आया है, आगे भी सदियों तक चलता रहेगा। ऐसे में अगर कुछ ऐसा है जो हम सभी से छूट जाता है तो बस जीवन जीने का सलीका छूट जाता है.._*
*_साकेत_* ❤️-
*हर किसी को अपने जीवन में सहज और सरल होना चाहिए। हाँ ये सच है कि इस रास्ते पर बहुत सी हार का सामना करना पड़ता है लेकिन यकीन मानिए कि वो सारी हार मिलकर भी, उस एक जीत के सामने छोटी साबित होती हैं, जिस जीत में ऐसे कुछ लोग हमसे आ जुड़ते हैं जो हम जैसे ही किसी सहज और सरल इंसान की तलाश में थे। मन के सुकून के लिए हमें हजारों की जरूरत नही होती, मिल जाए तो मुट्ठी भर लोग भी काफी है। हमारे जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष यही है कि जब तक ये सहज और सरल लोग हमें नही ढूंढ लेते, क्या तब तक हम सहज और सरल बने रह सकते हैं? अपनी उस सहजता और सरलता को खो देना ही, जिसकी वजह से बाकी के सहज और सरल लोग हमसे जुड़ते, अपने दिल के सुकून को खो देना है..*
*_मैं अपनी सारी जिंदगी सिर्फ इसलिए दांव पे लगा दूं की लोग मुझे अच्छा कहें.._*
*_इस से अच्छा है.. लोग चार गालियां दे लें और मैं अपनी जिंदगी ठीक करने में लगा दूं..._*
*- साकेत* ❤️-
*हर किसी को अपने जीवन में सहज और सरल होना चाहिए। हाँ ये सच है कि इस रास्ते पर बहुत सी हार का सामना करना पड़ता है लेकिन यकीन मानिए कि वो सारी हार मिलकर भी, उस एक जीत के सामने छोटी साबित होती हैं, जिस जीत में ऐसे कुछ लोग हमसे आ जुड़ते हैं जो हम जैसे ही किसी सहज और सरल इंसान की तलाश में थे। मन के सुकून के लिए हमें हजारों की जरूरत नही होती, मिल जाए तो मुट्ठी भर लोग भी काफी है। हमारे जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष यही है कि जब तक ये सहज और सरल लोग हमें नही ढूंढ लेते, क्या तब तक हम सहज और सरल बने रह सकते हैं? अपनी उस सहजता और सरलता को खो देना ही, जिसकी वजह से बाकी के सहज और सरल लोग हमसे जुड़ते, अपने दिल के सुकून को खो देना है..*
*_मैं अपनी सारी जिंदगी सिर्फ इसलिए दांव पे लगा दूं की लोग मुझे अच्छा कहें.._*
*_इस से अच्छा है.. लोग चार गालियां दे लें और मैं अपनी जिंदगी ठीक करने में लगा दूं..._*
*- साकेत* ❤️-
*हर किसी को अपने जीवन में सहज और सरल होना चाहिए। हाँ ये सच है कि इस रास्ते पर बहुत सी हार का सामना करना पड़ता है लेकिन यकीन मानिए कि वो सारी हार मिलकर भी, उस एक जीत के सामने छोटी साबित होती हैं, जिस जीत में ऐसे कुछ लोग हमसे आ जुड़ते हैं जो हम जैसे ही किसी सहज और सरल इंसान की तलाश में थे। मन के सुकून के लिए हमें हजारों की जरूरत नही होती, मिल जाए तो मुट्ठी भर लोग भी काफी है। हमारे जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष यही है कि जब तक ये सहज और सरल लोग हमें नही ढूंढ लेते, क्या तब तक हम सहज और सरल बने रह सकते हैं? अपनी उस सहजता और सरलता को खो देना ही, जिसकी वजह से बाकी के सहज और सरल लोग हमसे जुड़ते, अपने दिल के सुकून को खो देना है..*
*_मैं अपनी सारी जिंदगी सिर्फ इसलिए दांव पे लगा दूं की लोग मुझे अच्छा कहें.._*
*_इस से अच्छा है.. लोग चार गालियां दे लें और मैं अपनी जिंदगी ठीक करने में लगा दूं..._*
*- साकेत* ❤️-
क्या हम किसी के समझाने भर से
हर सबक सीख गये थे?
जवाब है बिल्कुल नही।
हमने अपना हर सबक तभी सीखा है,
जब हम किसी विशेष परिस्थिति में थे,
और हमें कुछ नया सीखने की जरूरत थी,
उस वक़्त हमें किसी इंसान की
बरसों पहले समझाई हुई बात का भी
सही अर्थ समझ आ जाता है,
और सबसे बड़ी बात जैसा
उन हालातों ने हमें सिखाया।
इतना सब कुछ जानते हुए भी
हम ऐसी उम्मीद क्यूँ करते है कि
हम आज किसी को कुछ समझाएं
ओर वो तुरंत वह बात समझ जाएं।
अगर आज कोई हमारी बात
नही समझ पा रहा तो
क्यों हम इस बात को
अपने दिल से लगा लेते हैं..-