sakera tunvar  
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Joined 15 February 2020


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Joined 15 February 2020
21 MAR AT 21:55

बहुत दिनों से बंद पड़ी मेरी उस डायरी ने कलम से पूछा...,

आजकल मुझसे,तुमसे और उसकी वह अनकही सी शायरी से रिश्ता कुछ फिका सा पड गया है...,
कलम ने उसकी बात सुनकर तुरंत ही कहा...,
की उसके आगे लफ्ज़ो का कारवां चलता है...
वह देख ले एक नजर उसको तो कुछ शायरी सा अक्श बनता है।

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5 FEB AT 19:40

Some one say,

हर बात हंसी मजाक पर क्यों खत्म होती है इसकी।

But after listening this my heart say,

खुदा ने बनाया है न‌ जाने क्यू इस शख्शियत को जो गैरों को भी अपना मानती है,
जहां अपने भी मतलब से मुस्कुराते हैं,वहां उसके छोटे से मजाक से वह न जाने कितने चेहरों की मुस्कुराहट बनती है।

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5 NOV 2023 AT 19:05

मुकम्मल-ए-ख्वाब के इंतजार में बैठे एक शक्श ने आखीरकार थककर खुदा से पूछ ही लिया कि,
मंजिल के इंतजार में बैठे हैं हम मरहले में यु गुमनाम,
की कब वह हर मनाजील पार करके आएगी हमारे पास?
खुदा ने उसकी बात सुनकर दिलकश मुस्कान बिखेरकर कहा,
आज नहीं तो कल बेशक मुकम्मल है ख्वाब उनके जिन्होंने मंजिल ए ख्वाब में ठोकरें है खाई,
और गुमनाम तो वह है जो मरहले से बाहर निकले ही नहीं।

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5 MAY 2023 AT 10:18

लफ्ज़ ने जबान से कहा,
सब तेरा और मेरा ही तो खेल है,
लेकिन जबान ने उसकी बात बिच में काटकर कहा,
ना यह तेरा मसला है और ना ही मेरा,
वो इंसान जो हर चिज़ में अपना औरा दिखाता है,
तो बिना उसकी इजाजत के
बेबुनियाद लफ्ज़ उसके मुंह से रिहा होना
उसमें कहा कसूर मेरा और कहा कसूर तेरा है।

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15 APR 2023 AT 22:00

ज़िंदगी में कुछ मांगों या ना मांगों,
लेकिन एक वक्त के लिए बुरा वक्त जरूर मांगना,
क्योंकि अक्सर आप जिसे गैर मानते हैं वहीं आपके लिए दुआएं मांगते हैं,
और अपने बिच रास्ते में नंगे पैर छोड़ जाते हैं।

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1 APR 2023 AT 12:52

उसका रोता चेहरा और उसके साथ साथ उसका वो सफ़ेद लिबास...उस सफेद लिबास को देखकर मेरा दिल चिख चिख कर रो रहा है।
में जानता हूं कि तुम्हारा दिल यही कह रहा है कि शायद में तुम्हारे साथ होता तुम्हारे पास होता...
लेकिन मेरी जान को कोई बताए की,

तुम ना मुझे उदास बिल्कुल अच्छी नहीं लगती... तुम ना बिल्कुल वैसे मुस्कुराया करो जैसे पहले मुस्कुराया करती थी। तुम ना यह सफेद लिबास को छोड़कर लाल जोड़े को अपने शरीर पर सजा दो,और मेरी पसंद तो तुम्हारी पसंद थी ना तो इन चुड़ी यो को अपने हाथों में पहन लो।

और आजकल जो तुम अपना सिर झुकाकर चलती होना, उसे झुकाकर नहीं गर्व से ऊंचा करके चलो क्योंकि में अपने शरीर पर देश‌ के तिरंगे को लिपटकर इस जहां से विदा हुआ हुं ना ।

तुम ना मेरे बैजान शरीर से लिपटकर जब रोई थी ना तब यह दिल जरुर छल्नी हुआ था, लेकिन तुम्हारी कहीं वो बात जरूर दिल को सुकून दे ग‌ई थी,के तुम्हें मुझसे ज्यादा देश के तिरंगे से मोहब्बत थी ना।

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31 MAR 2023 AT 8:59

मैंने ना इस कविता के जरिए एक शहीद की जुबानी लिखी है, जिसने ना अपने देश के लिए अपनी जान कि कुर्बानी दी है, अपनी जान तो कुर्बान कर दी, लेकिन अपनी एक जान से भी प्यारी जान को इस मतलबी दुनिया के बीच छोड़ दिया।और उसका दर्द महसूस करके अपनी पत्नी के लिए उनके विचार मेंने इस कविता के जरिए व्यक्त कीए है की,

जा रहा था सरहद पर जब मैं
तब आखरी बार सुनी थी मैंने उसकी पायल की झनकार वो,
उसने मद्धम से आवाज में कहा था की याद रखना तुम्हारे इंतज़ार में खड़ी है वो,
लेकिन मेरी पहली मोहब्बत तो मेरे देश की मिट्टी थी ना,
याद था...याद था की वह इंतजार करते करते थक गई होगी,
लेकिन फिर भी उसने निंद से अपना मुंह यु मोड़ लिया होगा ना...

वो मुझे ना लाल जोड़े में पसंद थी...या यूं कहूं बेहद पसंद थी,
साथ-साथ उसके चेहरे की वो दिलकश मुस्कुराहट और उसके चुड़ी यो की आवाज मेरे दिल का सुकून थी ना...
तो मेरा इस जहां के लोगों से यह सवाल है कि...,
उसके नाज़ुक से हाथों को बेदर्दी से पकड़कर तोड़ी हुईं चुड़ी के कांच मुझे पुरसुकून कैसे कर सकते थे??

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29 MAR 2023 AT 19:32

किसी ने पूछा मेरी कलम से की क्या पहचान है तेरी और तुझे लिखने वाले की,

कलम ने अपने वहीं चिरपरिचित अंदाज में अपनी मुस्कान बिखेर कर कहा,
की कुछ खास नहीं बस जमीं पर बैठकर आसमान को लिखते हैं,
जो बित गया उसे याद करके और जो होने वाला है उसे सोचकर कविता लिखते हैं,
और जनाब आप दिल से मुस्कुराई ए जरा क्योंकि हम अक्सर लोगों के चेहरे देखकर उनके जज्बात लिखते हैं।

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21 MAR 2023 AT 11:03

काश यह जिंदगी सिर्फ खुशियों से भरी होती,
हर ख्वाब हो जाएं मुकम्मल बस यही एक ख्वाहिश होती,
कुछ अनकहे से जज्बात भी कहने की जरूरत नहीं होती,
काश मैं शायरी होती और हर लफ्ज़ के साथ कलम भी मुझ सी होती।

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22 DEC 2022 AT 21:46

किसी ने सफलता से पूछा की,

मुझे तुम (सफलता) में और शहद में फर्क क्यों नहीं लगता है??

तो सफलता ने अपनी वही चिरपरिचित मुस्कुराहट के साथ कहा,

क्योंकि जब में किसी की दहलीज पर जाती हुं तो अक्सर नीम से लोग न जाने क्यों शहद से हो जाते हैं।

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