Sajal Samveg  
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Insta @sajalsamveg and @penned.by.sajal
Joined 10 February 2022


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27 APR AT 13:08

सबब-ए-रंजिश

सबब-ए-रंजिश की क्या करूं मैं बातें
भला पंछी कभी अपने आसमान से ख़फ़ा हो सकता है क्या...!
नाराज़गी के अश्कों से भरी साहिर आँखें
तुझे ज़रा भी तरस न आया मुझे इतनी बड़ी सजा देने में क्या...!
तुझसे वबस्ता वह हसीन मुलाकातें
उनमें से एक को तेरा 'आखिरी' कहना,
मेरे लिए इससे बड़ा सबब-ए-रंजिश और है ही क्या...!

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5 MAR AT 3:21

In this world of illness,
Where thousands lure.
I found my illness,
In my own cure.

I met my stress
In my dilusions
full my mess
Mess...
...
Mess that I created,
Mess that I thought up,
Mess that I have cherished,
Mess that I have loved,
Mess that I have hated....
Hated...
For never being true...

In this world of hatred,
Where thousands lure.
I witnessed love sacred,
And it made me pure...

@penned.by.sajal

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29 OCT 2023 AT 20:47

होते हैं लम्हे कुछ अपनी जिंदगी के,
जो नींदें उड़ा देती हैं
जो चैन छीन लेती हैं
जो अफसाने भुला देती हैं
जो शब ए ग़म कर देती हैं
पर खैर छोड़ो....
उन लम्हों का भी क्या ही दोष..
जिन लम्हों में हम खानाबदोश
सा खुद ही होश गवा बैठे...

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30 SEP 2023 AT 22:22

Violence for the sake of the loved ones
Makes the despicable admirable

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30 SEP 2023 AT 21:15

मेरे दिल पे है दाग चाँद सा.
तेरी आंखों में आसमां ढूंढता है.

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28 SEP 2023 AT 12:07

अल्फ़ाज़ों का क्या है, नए आ जायेंगे....
इन शायरियों का क्या है, नए लिख लेंगे....
इन किस्सों का क्या है, नए बुन लेंगे....
तू आईना देख फिर बता, मेरी पसंद कैसी है!!
इसके सामने अल्फाज़ों, शायरियों, किस्सों की औकात ही क्या है,
ये बे-सबात दिल का ख्वाब ही तो है, कभी तो मयस्सर कर ही लेंगे!!

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28 SEP 2023 AT 11:47

अल्फ़ाज़ों का क्या है, नए आ जायेंगे....
इन शायरियों का क्या है, नए लिख लेंगे....
इन किस्सों का क्या है, नए बुन लेंगे....
तू आईना देख फिर बता, मेरी पसंद कैसी है!!
इसके सामने अल्फाज़ों, शायरियों, किस्सों की औकात ही क्या है,
ये बे-सबात दिल का ख्वाब ही तो है, कभी तो मयस्सर कर ही लेंगे!!

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28 SEP 2023 AT 9:17

किसने कहा कि ये शायरी, ये अल्फ़ाज़ होंगे मेरे ही ।
ये तो मैं उसकी आँखें पढ़ के लिखता रहा ।
शायद वो मेरे लफ़्ज़ों के लिए बैठी रही...
मैं अलमस्त उसकी आँखों को पढ़ता रहा...

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24 SEP 2023 AT 22:49

मन के कोरे कागज़ पे,
जो तुमने प्यार की स्याही छीट्ट दी |
ज़र्रा सा जो इश्क था,
जीने का ज़रिया बन गया |
धड़कनो में जो ख्याल था,
दिल तो शायर बन गया |
जो ख्वाब तेरी याद में मैं बुनता था,
उन ख्वाबों में मयस्सर मेरा हकीकत बन गया |

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18 SEP 2023 AT 9:31

ऐसे तो लोग यूं कर देते हैं....
...तारीफ...
शायरों के नगमो की...
पर असली कला तो...
" मौन कलम को अल्फ़ाज़ देना,
और कोरे कागज़ों को ख़्वाब देना होता है...
लब्ज़ो को रुहानियत देना,
और ज़हन में नशा घोलना होता है। "

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