एक रात जो आज मैं फिर बैठा जो साथ था तो सोचकर बैठा, जो चला गया तो रुक कर बैठा, जो फिर आएगा ख्वाब कर बैठा, मगर जो न लौट कर बैठा, वो तारा आसमां लेकर बैठा , फिर में उसे देख कर बैठा , एक रात जो आज मैं फिर बैठा।।।।
तेरी खबर मैं यूं तो अखबार लिखा ढुंढ ज़रा ये जो पता लिखा पर वहां तुझे ला पता लिखा क्या किया तूने ये सवाल लिखा मुझे बोझ और बीमारी को रोज लिखा तुझे खामोश मुझे सब्र लिखा फिर तुझे भुला और मुझे भटका लिखा आसमा में भी तारा टूटा लिखा जो तेरी खबर में , मेरी ख्वाइश का अखबार पूरा लिखा।।।
ये जो मुझे वक्त ने दिया तो ख्वाब दिया फिर क्या जो ख्वाब को हर वक्त दिया मगर फिर भी यूं अधूरा मुझे ख्वाब ने छोड़ दिया जो सिर्फ मां ने पूरा कर दिया।।। Happy Mother's day...