मैं जानता हूँ दिल से बेहतर दिमाग़ कहता है ,
फिर भी दिल दिमाग़ पे हावी क्यों रहता है !
जानता हूँ मैं हक़ीक़त हर एक अपने की,
जाने क्यों आदत है सब के दिल रखने की!!
कौन कहता हैं मोहब्बत में सब जायज़ है ,
ऐसा है तो क्यों दिल डरा सा रहता है !!
कोई तुझ तक ना पहुँच जाए ले के शिकायत
डरता हूँ
या खुदा मैं तेरे बंदों को झुक के सलाम करता हूँ !!!
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अब मैं हवा हो जाऊँगा,
किसी धुप सा बिखर जाऊँगा !!
मैं अब उसी का बन जाऊँगा….उस जैसा नज़र आऊंगा !!
बहने लगूगा पानी की तरह.
अंकुरित धरती में हो जाऊँगा !!
मैं अब उसी का बन जाऊँगा…..उस जैसा नज़र आऊंगा !!
आकाश की चादर ओढ़ के,
तुम सब पे छा जाऊँगा !
मैं अब उसी का बन जाऊँगा ….उस जैसा नज़र आऊंगा !!
तुम्हारे दिल के किसी कोने में एक छोटा सा घर बनाऊँगा…
पलक छपकते कभी तारा,कभी फुल,कभी कभी जुगनु
कभी कोई सुर बन के गुनगुनाउंगा!!
मैं अब। उसी का बन जाऊँगा
उस जैसा नज़र आऊंगा !!
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हाल ए दिल भी अगर बताया जाए,कहा और सुनाया जाए.....
तो अपना भी फिर वो कैसे हुआ , छोड़ो हक भी क्या जताया जाए...!
Saira ©-
वो गरीब ही रहता है ता उम्र
जो शख्स खुद की कीमत न लगा पाए,,, जिंदगी के बाज़ार में !
खुद को बेच नही पाए !
जिंदगी के बाज़ार में!-
कभी कभी हम समझ नहीं पाते की क़सूर क्या हुआ ,हम ने तो किसी का कुछ बुरा किया ही नहीं,कभी दिल नहीं दुखाया किसी का फिर इतना बुरा क्यों हो रहा है हमारे साथ,,?
"जुबान की नरमी"
खो देते हैं हम अक्सर और तो कुछ नही है
ख़ुदा कहता है "मेरा बंदा राजी नहीं तो मैं कैसे खुश रहुं!?!-
सुना है मेरा दुश्मन
मेरा अज़ीज़ है
और मेहबूब ही रकीब है!
कितनी शिद्दत से मिलता है ,
मुस्कुरा के मुझे
ये भी बड़ा अजीब है!!
कितना दूर है दिल से
जो सब से करीब है!!
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जब सारा ज़माना खिलाफ़ हो ,
तब तुम्हारा इरादा फौलाद हो!
बारूद आंखों में होने से कुछ नही होगा,
जहन में दौड़ता सैलाब हो...!
बहा ले जाने का जज़्बा ही काफ़ी है ,
ख़ुद को साबित करने का मौका सब को नहीं मिलता!
इंसान वो ही सिकन्दर है जिसका ईमान नहीं हिलता-
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हर जगह ज़हर है,
ईनायत भी कहर है!
इतना तकब्बुर है आजकल
हर पहर लावे की लहर है!
"खुदी" "खुदाई"का बैर है,
क्या नहीं जानते हो तुम?
फिर कैसा फितूर है
जो सर पे सवार है!!
-SairaQureshi ©
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लहज़ा बदल के देखो शायद दुनिया को समझाया जाए ....!!
ज़रूरी नहीं हर दर्द को रो-रो के जताया जाए !!
जा रहे हो तो जाओ मर्ज़ी तुम्हारी है ,
क्यों चाहते हो रोका जाए और मनाया जाए !?!
क्यों तुम्हरे ही जख्मों को सहलाया जाए!!
दिलों तो तुमने भी कई तोडे हैं
तो क्यों ख़ुद को ही शिकार बताया जाए!!?!!
दुनिया बदलती है,बदलती हैं ख्वाहिशें,
बदलती हैं नज़रें,नज़रिए भी रात दिन ,,,अब तो
दोस्त भी बदल दिए जाते हैं ज़रूरत के हिसाब से ....!!
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सदियों से जल रहा हुं
लेकिन राख नही होता!
रावण जो हुं !!
मैं तुम सब में बस्ता हुं,
क्यो ? तुम से खुद का ही दिल साफ़ नहीं होता?
मैं रावण हुं ....मेरी भी कोई मर्यादा है,
और फिर हर जलाने वाला भी तो राम नहीं होता!!
सब कुछ पा के सब कुछ हारा हुं
समझो !!
कौन सा पाप है जिसका नाश नहीं होता ?
सुना!!
पाप का कोई चेहरा नहीं होता, किसी का पुण्य किसी का पाप हो जाता है , जो जीते वो बलवान और भगवान हो जाता है!
लेकिन रावण सब में है और तुम से अपना भीतर साफ नहीं होता
तुम अपने अन्दर कोई छोटी सी आग जलाओ..
बाहर के दीपक से आत्मा में प्रकाश नही होता !
आज फिर जला लो तुम मेरा पुतला
और उत्सव जारी रहने दो ....
यों करो !!
इस प्रकाश को अपने अन्दर बहने हो
और तब तक बहने दो
जब तक सब धुल न जाए तुम्हारे भी भीतर से,
जिसे तुम छल, कपट,ईर्षा,द्वेष, लोभ,मोह और पाप कहते हो!
-saira Qureshi
दशहरा मुबारक !!-