sai akash  
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Joined 19 May 2019


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19 OCT 2023 AT 12:01

सुनो,
कुछ कहना है तुमसे, लेकिन कभी कह नहीं पाऊंगा,
अगर इजाज़त हो, तो ताउम्र तुम्हें निहारता रहूंगा।
इसे मोहब्बत केहलो या आकर्षण,
तुम्हारी मंजूरी हो, तो मैं हमारी तक़दीर स्वयं लिखना चाहूंगा ।

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26 MAR 2022 AT 16:38

इशारों ने इशारों में इशारा किया,
मुस्कराहट ने दूर से ही मुस्करा दिया ।

आफ़ताब की लालिमा से चांद भी शरमा गया,
चांद की चांदनी ने वक्त को भी रोक लिया ।

बारिश के बूंदों ने अश्रुओं को ढक लिया,
सूरज के किरणों ने उन्ही बूंदों को सोख लिया ।।

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21 DEC 2021 AT 16:23

शादी के जोड़े में क्या खूब जच रही हैं ।
पापा की मलिका आज सुहागन बनने जा रही हैं ।।
सजने संवरने से नफरत था जिसको,
आज सज धज के इस घर से विदा हो रही हैं ।।

मेहन्दी पर भले ही नाम सुहाग का हो,
दिल मैं अपने पिता की तसवीर लिए घूमती हैं ।
मांग में सिन्दूर भले ही शौहर का हो,
आँसू अपने पिता के कंधो पर ही बहाती हैं ।।

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25 JUL 2021 AT 15:43

बारिश का वो मौसम था,
बड़ा सुहाना मंज़र था ।

दूर किसी न्यायपीठ पे एक अनजान लड़की बैठी थी,
शायद बारिश के बुंदो से अपने आंसू छुपा रही थी ।

उसकी मायूसी की वजह जानने, मैं उसके नजदीक गया,
उसका खून से लथपथ हात देख, मैं जरा घबरा सा गया।

मेरे को देखते ही, वो घबराने लगी,
और अपने आंसू पोछने लगी ।
उसके पास एक तस्वीर थी,
उस तस्वीर को मेरे से छुपाने लगी।।.......

To be continued

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4 MAR 2021 AT 19:36

कभी सोचा न था,
कि एक दिन हम भी कठपुतले बन जाएंगे।
समय के साथ, हम भी समय का शिकार बन जाएंगे ।।

कठपुतली अरमानों की,
कठपुतली जज्बातों की,
कठपुतली अधूरे ख्वाबों की,
कठपुतली सलामत यादों की ।

कभी सोचा न था,
कि एक दिन हम भी कठपुतले बन जाएंगे।


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5 JAN 2021 AT 15:53

अनकही आँखॊ पर अनगिनत सपने लिए चल रहे हो,
ज़बान पर ताले लगाए; केवल पन्ने भरते जा रहे हो ।

कब तक अपनी खयाली दुनिया में खोए रहोगे,
कभी हकीक़त का भी सामना करके देखो।
कब तक दुनिया का बोझ लेते फिरोगे,
कभी खुद की ज़िम्मेदारी भी लेकर देखो ।।

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17 NOV 2020 AT 0:10

तीरगी में था खडा
एक ही जिद्द पे था अड़ा,

मौत आई थी नज़र,
घायल कर गई इस कदर........

फिर हुई जो रोशनी
वहा नहीं था कोई भी।
था मगर एक आईना,
और आइने में अक्स भी ।।

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23 AUG 2020 AT 15:49

बडे प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था,
चार कंधो पे उठाकर कहीं ले जाया जा रहा था ।
चीख चीख कर लोग रो रहे थे, लेकिन
न जाने क्यों, मैं फिर भी सो रहा था ।।

सबकी जुबान पर " राम " का नाम था,
मेरे शरीर को दफनाया जा रहा था,
न जाने क्यों, मैं फिर भी सो रहा था ।।

माँ को आखिरी बार गले लगाने की ख्वाहिश थी,
परंतु, मौत मुझे अपने साथ ले जाने के मकसद से ही आयी थी ।।


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26 JUN 2020 AT 16:30

ख्वाबों के दिये बुझ गए, अब उसे क्यों याद कर रहे हो ?
शरीर से रूह बिछड गया, अब किसकी जयकार कर रहे हो ?
उससे मिलने से भी इनकार कर दिया था तुमने,
अब उसके मरने के बाद, ये झूठे आसूँ किसे दिखा रहे हो ?

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29 MAY 2020 AT 14:10

मोहब्बत से भरी हुई जाम अब आसूँओं से भर गई है,
आपके गुजरने के बाद मेरी परछाई भी मुझसे रूठ गई है ।
आपको सीने से लगाने का मन करता है लेकिन
आपकी फूल चढी तस्वीर ही याद बनकर रह गई है ।।

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