मैं चांद को देख अपनी रातें गुजार लेता हूँ
बस्स...
ऐसे ही मैं तुम्हें सारी रात याद कर लेता हूँ-
?
तेरे मेरे दरमियान कुछ भी नही है
ऐसे तू ना समझ
ये जो कुछ भी नही है
बस्स यही है जरा तो समझ-
मुझे छोड़कर जा रहे हो
तो बेशक चले जावो और
जो मुझमे है तू उसे भी साथ ले जावो
क्योंकि...
मैं दो खुदकुशी नहीं कर सकता...-
जरा सा ही हो पर होना चाहिए
हर सीने मे ये दर्द होना चाहिए
इश्कपे कोई दवा नहीं दुवा नहीं
जो मुझे हो वो मर्ज तुझेभी होना चाहिए-
वो सितारों से बाते करती है
वो चाँद से मुलाकातें करती है
उसकी हसी ने सुबहो को जगाया है
सारी कायनातभी उसे प्यार करती है-
जागती हुई रातें तन्हा तन्हा गुज़री है हमने
तुम्हारे बिना भी तुम्हारे साथ सदियाँ गुजारी है हमने
ता उम्र तुम्हारी चाहत में हम खाक हो गये
है गर यही इश्क तो ऐसे ही उल्फत निभाई है हमने
हर रात आना तुम ख्वाबों मे हूर की तरहा
तुम्हारी राहो पर नजरे बिछाई है हमने
हमे भूल जाने की कोशिश तुमने बहोत की मगर
ना भुला पावोगे यही खुदासे बिनती की है हमने
हमारी यादो के सहारे ही अब तुम्हे जीना पडेगा
साथ बिताये हुये उन लम्हो की सौगात भेजी है हमने-
बहुत वक्त लगता है
किसीभी कविता के
निर्माण होने में
जितना वक्त लग जाता है
किसी प्रेमी को
अपनी प्रेमिका को रिझाने मे-
मुसळधार उन्हामध्ये सावल्या ही भिजल्या होत्या
रानातले चिट पाखरू रखरखत मौन होते
नजरेन फिराव सैरभैर क्षितिजा पलीकडे दुर
राबताना घामाला ही पाझर फुटला होता
शीळेच्या टणत्कारात आकाश दुमदुमत होते
श्वासाच वादळ चोहीकडे घूमत होते
घावा वर घाव पडून धरे चे काळीज फाटले
पोटासाठी तीच्या कुशीत मोती निजले होते
नजराही थेंबांसाठी आतुर झाली होती
पण यंदा एकही सर धाऊन आली नव्हती
उद्विग्न मनाचा आता धीर सुटू लागला..तेव्हा
फांदीवर एक दोरी आपलच ओझे पेलत होती-
तुझ माझ्या जवळ असणं
मला आठवणी देण्याच काम करतं
मग नसता जवळी तू ..
आठवणी.....
तुझ्या असण्याची उणीव भरत असतं-
मैं तुम्हारी कल्पना करता हूं
और तुम आ जाती हो
स्वरुपको शब्दोंमे ढ़ालकर
बस्स यही वास्तविकता है
हमारी मुलाक़ातोंकी-