SAHYADREE NPD   (#सह्याद्री (निरन))
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Who is who am I inside myself...
?
Joined 6 July 2021


Who is who am I inside myself...
?
Joined 6 July 2021
15 MAY AT 14:54

बहुत वक्त लगता है
किसीभी कविता के
निर्माण होने में
जितना वक्त लग जाता है
किसी प्रेमी को
अपनी प्रेमिका को रिझाने मे

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24 APR AT 9:44

मुसळधार उन्हामध्ये सावल्या ही भिजल्या होत्या
रानातले चिट पाखरू रखरखत मौन होते
नजरेन फिराव सैरभैर क्षितिजा पलीकडे दुर
राबताना घामाला ही पाझर फुटला होता

शीळेच्या टणत्कारात आकाश दुमदुमत होते
श्वासाच वादळ चोहीकडे घूमत होते
घावा वर घाव पडून धरे चे काळीज फाटले
पोटासाठी तीच्या कुशीत मोती निजले होते

नजराही थेंबांसाठी आतुर झाली होती
पण यंदा एकही सर धाऊन आली नव्हती
उद्विग्न मनाचा आता धीर सुटू लागला..तेव्हा
फांदीवर एक दोरी आपलच ओझे पेलत होती

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22 APR AT 6:34

तुझ माझ्या जवळ असणं
मला आठवणी देण्याच काम करतं
मग नसता जवळी तू ..
आठवणी.....
तुझ्या असण्याची उणीव भरत असतं

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18 APR AT 16:59

मैं तुम्हारी कल्पना करता हूं
और तुम आ जाती हो
स्वरुपको शब्दोंमे ढ़ालकर
बस्स यही वास्तविकता है
हमारी मुलाक़ातोंकी

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31 MAR AT 6:52

जब चले जावोगे तुम यहाँ से
बहुत अकेले हो जावोगे
फिर लौट आवोगे तुम यहाँ तो
खुदको अकेला ही पावोगे

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16 JAN AT 0:06

मिलेंगे हम दोनों
समुंदर में
तू पानी की लहर बनकर उछलना
मैं किनारों सा तेरी राह देखता

मिलेगे हम दोनों
कही खुले आसमंत पर
तू मुझे ले जाना उड़ाकर
किसी अकेले सितारे के पास

मिलेगे हम दोनों
सपनों में तेरे
जो चुने है तूने सौ रातों से

मिलेगे हम दोनों
दूरियों मे भी
यादों से करीब बुलाकर
एक ही लगे हम
सबकी आँखों के सामने...

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1 NOV 2024 AT 11:44

रंगोली सी रंगीन हो तुम्हारी जीवन मे घडीया आनेवाली
हरदिन तुम्हारी होली हो
हर रात रहे दिवाली
मेरी यही कामना है जीवनभर तुमको मिले खुशहाली
इस वर्ष मनाये पूरे परिवारसंग खुशियाँभरी दिवाली
🙏😍🥳

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31 OCT 2024 AT 23:56

फूल खिले पंछी चहेके
समा सुहाना होता है
लगे है तुमसे दिन हो रोशन
तुमसे ही कायनात का
कारोबार चलता है
मैं बता ना पाउ जब तुम आवो तो
मुझे कितना अच्छा लगता है

देखू जब भी सपने
मैं तुमको ही देखू
जब पलके खोल मैं जागू
नजर के सामाने तुमको ही पावू
यही मेरा काम अब दिनरात चलता है
मैं बता ना पाउ जब तुम आवो तो
मुझे कितना अच्छा लगता है

तुमको पाकर पाई है मैंने
ज़माने भर की खुशी
तुम हसती हो तो खिलती है
मेरे होठोंपर हसी
यही एहसास मुझे बार बार होता हैं
मैं बता ना पाउ जब तुम आवो तो
मुझे कितना अच्छा लगता है

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29 OCT 2024 AT 9:05

किसके लिये हम सज धजकर निकले घरसे
क्यूँ हम खुदको सवारे
गुलशन खिला हो तो भी क्यू हम गुलों मे जाये
वो शख्स अब रहेता नहीं है इस शहरमे
जो , ना हम उसे दिखाई दे नाही वो हमे नजर आये

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28 OCT 2024 AT 23:18

हर मुश्किल को फना देता है
गर साथी तेरे जैसा हो कोई
तो जीवन भी जिंदगानी का साथ देता है

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