हकीम_ए_मर्ज़ समझ कर दर्द भूल बैठा।
वो वहम था मेरा हकीकत भूल बैठा।।
वो तो तशव्वर था मेरा कि महफ़िल_ए_ख़ास में बैठा हूँ।।शफ़_ए_तन्हाई में शुमार होता है मेरा भूल बैठा।।
मौजूदगी से उनके कुछ खास तो होता है।।
"मगर"
महज़ वो एक पल के लिए था भूल बैठा।।-
❤️كُلُّ نَفْسٍ ذَآىٕقَةُ الْمَوْتِؕ❤️
चंद रोज़ की फानी ज़िन्दगी पर क्या अयतबार क... read more
𝗕𝗮𝗱+𝗚𝗼𝗼𝗱=𝗕𝗮𝗱
𝗕𝘂𝘁 "𝗪𝗛𝗬"
𝗤: 𝗪𝗵𝘆 𝗱𝗼 𝗽𝗲𝗼𝗽𝗹𝗲 𝘁𝗵𝗶𝗻𝗸 𝘁𝗵𝗮𝘁 𝗮𝗹𝗹 𝗽𝗲𝗼𝗽𝗹𝗲 𝗮𝗿𝗲 𝗯𝗮𝗱 𝗮𝗳𝘁𝗲𝗿 𝗺𝗲𝗲𝘁𝗶𝗻𝗴 𝗮 𝗯𝗮𝗱 𝗽𝗲𝗿𝘀𝗼𝗻?
"𝗟𝗲𝘁'𝘀 𝗰𝗵𝗮𝗻𝗴𝗲 𝗽𝗲𝗼𝗽𝗹𝗲'𝘀 𝘁𝗵𝗶𝗻𝗸𝗶𝗻𝗴, 𝗯𝘂𝘁 𝗽𝗲𝗼𝗽𝗹𝗲 𝘀𝗵𝗼𝘂𝗹𝗱 𝗰𝗼𝗺𝗲 𝗼𝘂𝘁 𝗼𝗳 𝗻𝗮𝗿𝗿𝗼𝘄 𝗺𝗶𝗻𝗱𝘀𝗲𝘁"
Don't compare me to that one😞
Cause I'm not a bad one🥺
maybe he made your moment horrible😶🌫
but I promise i always feel you adorable😊
Maybe you were only for him a body of girl🤐
But for me you are my highness😇 girl☺
Please let's forget him forever😏
Cause I'm here for you forever❤
I know he broke your trust and made you feel lonely😔
As you say you know me, so please put your trust in me🙂-
आँख भर आई।।।
महसूस किया जब दर्द उसका का तो
आँख भर आई, गैरों से क्या मलाल रखूं रुसवा जब अपने से हुए तो।।
आँख भर आई, शब_ए_तंहाइयों मे रुसवाइयों ने घेरा तो।।
आँख भर आई, बे हयाई मे बिनाइ खोई अपने ने तो
आँख भर आई, खौफ कहा ज़िंदान के अंधेरों का जब अपना ही आशियाना मेहफ़ूज़ नही तो।।
आँख भर आई, रौशन होना था जिसके हाथों से चिराग_ए_जिंदगी अब वो हाथ ही बाईस_ए_अंधेरा बना तो।।
आँख भर आई, उम्मीद ए वफा थी जिससे बेवफाई का मरकाज़ बना तो।।
आँख भर आई, चमन_ए_जिंदगी मे फूलों ने ही कांटे चुभाये तो।।
आँख भर आई, जिस नाम से रौशन होना था नाम मेरा उसने ही शान घटाई तो।।
आँख भर आई, महसूस किया जब दर्द उसका का तो।।
आँख भर आई।। ज़ुल्म_ओ_सितम के दर्द को उसने मुस्कुरा के युं छुपाया तो।।
आँख भर आई।।।-
❤️Maa❤️
सारे जहां को रौशन किया जिसके किरदार ने वो शक्सियत है, मां।।
रूह ए जमीन पर मेरा वजूद है उसका जरिया है, मां।।
जो औलाद की हर परेशानियों को असानियों में तब्दील कर दे बेशक वो तेरी दुआ है, मां।।
अपने मफात को भुला कर बेवजह हमसे मोहब्बत करे वो है, मां।।
खुदा जन्नत भी जिसके कदमों में रखे वो मुकद्दस खातून है, मां।।-
**शफ-ए-मोहब्बत मे खड़े होकर जो जुल्म किया है खुदपर**
**के दर्द-ए-दिल और गम-ए-मोहब्बत का सितम हुआ है मुझपर**-
जाहिरी तौर पर तो मुकम्मल हुवा अशरा-ए-रहमत,
मगर रेहमतों का नुजूल अभी बाकी है।
गर कुछ रह गई हो कमी या हुई कोई खता हमसे,
चलो कर ले दिल से तौबा इस अशरा-ए-मगफिरत मे,
मिली है जो नेमत रमज़ान हमको पता क्या मिले ना,
फिर जो जिंदगी अभी बाकी है।।
أَسْتَغْفِرُاللّٰهَ
🤲🤍🤲-
अब हाल क्या बताएं अपने दिल का!कौन है यहां
जिसे चाहा था दिल ने मेरे अब उनके दिल में कोई और है रेह रहा-
अब क्या बताए अपने मेहबूब के बारे में हम।
अगर हम शायर होते तो उनकी तारीफ मे बेशुमार शायरी करते।
और अगर हम लिखते तो उनके हुस्न पर किताब लिखते।।
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17 Ramzaan-ul-Mubarak 2 Hijri Juma
Ka ba-barkat Din yaume badr Islaam ki kuffar se Zulm ko mitane ke liye Jung-E-Badr
Lekar Rab ka khauf aur imaan ka jasba
aa gaye 313 Sahaba Maidaan-E-Badr me
Samne the 1000 kuffar jo ho gaye halak Maidaan-E-Badr me
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Momino ke dil ko karar aa gaya,
barkato ka nekiyo ka sailab aa gaya,
sehri ki raunak iftar ka maza aa gaya,
rehmato ka mahina Ramzan aa gaya,
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