Sahil Thoughts   (साहिल)
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Passion for poetry.
Joined 14 May 2020


Passion for poetry.
Joined 14 May 2020
8 JAN AT 21:11

एक छत के नीचे हम दोनों का फासला
दिखाता करीब था मगर दूर बहुत था

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8 JAN AT 12:54

जिंदगी नाराज़ न होना, मुलाकात होने तक
बस ये रात रोक लो, मुकम्मल बात होने तक

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5 JAN AT 19:48

मेरे आईने में अब अक्स तुम्हारा ही दिखता है
हर मुलाकात पे तुम साथ हो ये जरूरी तो नहीं

मैं अक्सर तुमसे बातें करता हूं मेरी हमनफस
हां हर बार तुम रूबरू हो ये जरूरी तो नहीं

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25 DEC 2024 AT 14:44

दिन ढलने को है आओ कुछ चिराग जला लें
झूठे ही सही मगर कुछ तो सूरज उगा लें

कोशिश छोटी है पर तसव्वुर तो बड़ा है
भेदना आसमान है आओ पत्थर तो उछालें

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27 JUL 2024 AT 21:48

नींद टूट जाती है और खुआब बिखर जाते हैं
कुछ यूँ भी आप और हम बिछड़ जाते हैं
चाहते तो यही हैं कि चिराग रोशन ही रहें
जाने क्यों हवाओ से रिश्ते बिगड़ जाते हैं

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24 JUL 2024 AT 22:31

मेरे माज़ी के सफहे भी अब तुमको थाह नहीं देते
वो लिखा सब मिट गया जिस पे मेरे अश्क गिरे थे

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10 JUL 2024 AT 22:35

फिसल कर गिरा, सम्भल कर चलने वाला
साथ छोड़ गया जब साथ में चलने वाला
अब कुछ बचा नहीं बस जिस्म जिंदा है
रूह तक ले गया वो रूह में बसने वाला

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7 JUN 2024 AT 18:08

कागज़ की कश्ती भी पार निकल गई
मौजें अब उदासीन हैं ये हुआ क्या है

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18 MAY 2024 AT 0:08

मंजिल और रास्ते तो मुसाफिर का ही फैसला है
अपना फर्ज निभाते हैं सभी रास्ता दिखाने वाले
कुछ अलग बात है मेरे चाहने वालों की "साहिल"
अक्सर तैरना भी सिखाते है मुझको डुबोने वाले

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8 MAY 2024 AT 22:18

स्वयं के साथ अक्सर ये तकरार करते हैं
वो श्क्स मेरा है ही नहीं जिसे प्यार करते हैं
मंजिले इंतजार नहीं करतीं राहगीरों का
ये तो रास्ते हैं जो हमारा इंतजार करते हैं

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