तेरे दीदार की खातिर दो पल,
हम बैठे रहे सारा दिन बैंच पर।-
तुझे सोचकर भी अब दिल नहीं बहलता ,
तेरी तस्वीर भी धीरे-धीरे बेअसर होती जा रही है।-
ये इश्क का उसूल समझो या रिवाज
बेवफ़ाओं से दिल दोबारा लगाते नहीं,
रूठकर जाने वाले लौट आते हैं मगर
मुस्कुराकर छोड़ने वाले वापिस आते नहीं।-
किसी के साथ हम मुस्कुराये भी बहुत हैं
फिर अपने ग़म में हम उसने रुलाये भी बहुत हैं,
और एक ही आंसू काफ़ी होता है लिखने के लिए
खैर हमने तो बहाए भी बहुत हैं।-
तेरे मुस्कुराने से खिलते हैं फूल
तेरे रूठने से मौसम बदल जाता है,
तुझे चाहा तो जाना ये मैंने
इश्क में कोई क्यों हद से गुजर जाता है।-
देखा ही नहीं मुझको
वो सामने से गुज़र गए,
महबूब के लौटे आने की खुशी में
वो मेरा चेहरा ही भूल गए।-
हमें नहीं मिला समंदर सिर्फ अपनी मेहनत से,
लोगों ने मदद बहुत की है धोखा दे दे कर।-
उसके जिस्म से मोहब्बत कभी थी ही नहीं,
उसकी रुह कभी जुदा हुई ही नहीं।-