काश एक ख्वाहिश पुरी हो इबादत के बगैर
वो आ कर गले लगा ले मेरी इजाजत के बगैर-
गिर्द यादों के तेरे, हर लम्हा बिताना सिख लिया
रात जलसों की हमने, तन्हा बिताना सिख लिया।
रखकर ताक पर मंजिले, जिंदगी की सभी बाकी
समंदर में अश्कों के, कश्ती चलाना सीख लिया।
आंखे हैं क्यों भरी सी, जो देख कर पुछा किसी ने
वो कुछ चला गया बस, ये नया बहाना सिख लिया।
हिज्र ने सनम तेरे यूं इस कदर हमे तोड़ रखा
रूठ खुद से ही हमने, खुदको मनाना सिख लिया।
तुम्हे मौका ना देंगे ये कहने का कभी सनम
हमने भी बदनाम गलियों में जाना सिख लिया।
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तुझे छूना ख़्वाब था मेरा,
जब वो हकीकत बन गया है.....
तो अब हर मुराद पूरी हो जाने दो........-
इश्क मुझे उससे हो गया है,
उसका मुझसे होना बाकी है,
यानि हाथ तो हम मिलाते है,
बस हाथ पकड़ के चलना बाकी है।-
मेरा दर्द अब कोई समझ नहीं सकता,
के हाये, अब अपनों से शिकायत कैसी....-
Wo din jo gujare tumhare sath....
Kash zindgi utni hi hoti.......-
पहले होती थी ढ़ेर सारी बातें
अब तो " कैसे हो " से शुरू होकर
" ठीक हूँ " पर खत्म हो जाती हैं.....-
बेबसी क्या होती है उस इंसान से पूछो
जो किसी को खो भी नहीं सकता
और उसका हो भी नहीं सकता.....-
बहुत तकलीफ होती है
जब आप किसी को चाहें
और वो तुम्हारे ही सामने
किसी और को चाहे.......-