Sahil Khan  
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⚫कुछ काल्पनिक, कुछ वैकल्पिक✍🏻✍🏻
⚫Thinker..
Joined 20 April 2020


⚫कुछ काल्पनिक, कुछ वैकल्पिक✍🏻✍🏻
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Joined 20 April 2020
2 JUN AT 17:28

जिंदगी है नहीं वैसी,जैसी तुम्हे नजर आती है।
रोने के बाद तुम्हे क्या यादों से सब्र आती है।।
हम वो परिंदे भी पालते,जो कभी उड़ना सीखेंगे ही नहीं,
फिर तुम भी नजरअंदाज कर देना,जो तुम्हें खबर आती है।।

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2 JUN AT 17:25


वक्त के साथ हमने वो सबकुछ खोना मुनासिब समझा है,
जिसे पाने के लिए लोग एक उम्र गुजार देते है।

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21 MAY AT 22:22

तुम्हारा भ्रम है,कहां है हमारे पास बेशकीमती नियामते।।
ना मुकम्मल दुआएं ही है,तुम और तुम्हारी इबादते।।
गुजारने के लिए जिंदगी,एक किनारा काफी है साहिल,
ये गिले-शिकवे,ये शिकायतें,मुझ में कहां अच्छी आदते।


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15 MAR AT 21:44

आंखो में दरिया है,ख्वाबों में तुम हो,ये कैसे अहसास होते है।
जिनके लफ्जों में जी हजूरी हो,वो ही क्यों खामोश होते है।।
गुलामीयत में जीने वाले शख्स भी जिंदा लाश होते है।
राज तब्दील-ए-जिन्दगी किसी को हमें कहने नहीं आते,
दोस्त अक्सर दुश्मन भी वही बनते है,जो खास होते है।।

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12 MAR AT 21:18

सफर में कमजोर लम्हे की दस्तक,फिर राबता कहां होता है।
दुनिया छोटी पड़ जाती है,एक शख्स लापता कहां होता है।।
अक्सर जिंदगी गुजर ही जाती है अकेलेपन में भी साहिल,
जो सबकुछ खो चुका हो,उसकी मंजिल का रास्ता कहां होता है।।

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3 MAR AT 22:01

यह दामन यूंही लाल है या फिर लगा इस पर किसी का खून है।
रेत सा वजूद रखते हो,या फिर तुम्हें भी पत्थर होने का जूनून है।।
कोई समझौता तो नहीं कर रहे जीवन के साथ साहिल,
तशरीफ लाएंगे हम भी कभी अगर इस बंद मकान में सुकून है।।

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15 FEB AT 21:24

गैर हो चुके हो हमारे लिए,तुम्हारे लहजे में वो असर नहीं लगता।
इतना खो चुके है,अब ओर कुछ भी खोने से डर नहीं लगता।।
गुजरे हुए वो पल,बस यादों में समाए रखना साहिल,
बिखरे हुए इंसान है हम तो,यह घर भी अब हमें घर नहीं लगता।।

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5 FEB AT 22:25

हम तुम्हारे एहसासों में जिंदगी गुजार देंगे।
तुम भी ये जिंदगी यूं जाया मत करो।।
किसी को भूलने की एक वजह काफी है,
तुम भी हमें महफूज वक्त में याद आया मत करो।।

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17 JAN AT 21:57

यूंही कसूरवार तो नहीं ठहराते साहिल,
हम भी तो मुजरिम रहें है तुम्हारी जिंदगी के।।

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10 NOV 2024 AT 22:47

खामोश आसमान की गर्दिश में तारे क्यों अकेले है।
बहते समंदर के आगोश में किनारे क्यों अकेले है।।
जीने का हुनर दिया है,उस बिखरते फूल को साहिल,
फिर जलती हुई चिता में तेरी यादों के अँगारे क्यों अकेले है।।

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