चला आज ख्वाबों की तलाश में,
चलता हुआ पहुँचा किसी शहर में...
चांद के पीछे पर तारों की छाया में,
मिली तु मुझे किसी अनोखे पहर में...
-
सफ़र में भटके मुसाफ़िर को,
यहाँ हर एक शख्स सता रहा हैं...
जिस शहर की यारों तलाश मुझे,
उसका पता कोई नहीं बता रहा हैं...-
फारिया तुम रोते हुए भी, हँस कर मुझे बुलाया करती हो...
"मेरी जान" haaye ये सुनकर कितना शर्माया करती हो...
कहीं मुझसे दूर ना हो जाओ, बस इस बात से घबराया करती हो...
मुझसे बहुत गुस्सा हो कर भी, दिल से सिर्फ मुझे ही बुलाया करती हो...-
इश्क की कैद से,
मुझ पागल की हो जमानत...
प्यार नहीं तुम मेरा,
पर सिर्फ मेरी हो अमानत...-
तुम मुसाफिर बनों हम राह हैं,
तुम मुसाफिर बनों हम राह हैं...
हर खुबसूरत दिल की चाह हैं...
आपके मासूम से दिल मैं हमारी पनाह है...
जो हमें वहाँ से तुम दूर करो वो गुनाह है...
तुम मुसाफिर बनों हम राह हैं,
हर खुबसूरत दिल की चाह हैं...
आप से ज्यादा हमें आपके दिल की परवाह हैं...
चाहे हमें लोग पागल कहें पर आपके दिल के शहंशाह हैं...
तुम मुसाफिर बनों हम राह हैं,
हर खुबसूरत दिल की चाह हैं..
तेरे बिना जो कटे वो सफ़र एक सजा हैं...
हर कदम तुम्हारे साथ चलें अगर तुम्हारी रजा हैं..
तुम मुसाफिर बनों हम राह हैं,
हर खुबसूरत दिल की चाह हैं...-
Faria...
हर दिन तुम्हारे लिये शायरी बनाऊँगा...
सुबह ना सही पर शाम को सुनाऊंगा...
हो जाओ नाराज तो प्यार से मनाऊंगा...
कभी तुम्हें गलती से भी नहीं रुलाऊँगा...
तुम्हें बर्फ के शहर में अपनें साथ घुमाऊँगा...
एक समय तुम्हें अपनी यादों से मिलाऊँगा...
तुम भी मुझे अपना समझकर पसंद करती हो,
इस खुबसूरत अहसास का तुम्हें यकीन दिलाऊँगा...
तुम्हारे साथ बीते हर खुबसूरत लम्हों को जोड़कर,
एक बेहद नायाब और बेहद खुबसूरत याद बनाऊँगा...
तुम्हारे दिल में ना सही पर यादों में जगह जरुर मिलें मुझे,
इस खुबसूरत कायिनात के मालिक से बस यहीं दुआ करूँगा...
वो किताब जो तुमने छुपा रखी हैं हर एक शक्स से,
उस किताब के पन्नों को मैं बड़ी तस्सली से तुम्हारे साथ पढूँगा...-
Fᴀʀɪᴀ..Mɪss..Kᴀsʜᴍɪʀ..
दिल का हर हिस्सा मुस्कुरा देता है,
सुनकर आपसे बस मिस्टर शायर...
दिल मेरा सोचे बारे में आपके हर पहर...
याद आपको करते ही दिल में उठती है लहर...
अगर आपको कहें कोई मंजिल, तो मैं बनू तुम्हारा सफ़र...-
तुम दिवानी मेरी शायरी की,
लेकिन मैं दीवाना हूँ सिर्फ तुम्हारा...
मैं लिखता हूँ तुम्हारे लिए,
चाहें तुम समझो पागल आवारा...-