तुम को बिना छुए भी महसूस करता हूँ मैं तुम से जुदा रह कर भी जुड़ा रहता हूँ मैं तुम्हारे ग़ैर-मौजूदगी में तस्वीरों से बात करता रहता हूँ मैं, शायद मेरे इश्क़ में कुछ कमी रह जाती होगी फिर भी हर रोज़ सिर्फ़ तुम को ही तो चुनता रहता हूँ मैं
सौ अंधेरों में भी रौशन हो उसअंधेरे की तलाश है तेरे दहलीज़ पर छोर आए उस मोहब्बत की तलाश है झुकने की इबादत को तो समझे जहां वाले कट जाने पर जो हासिल हो उस जन्नत की तलाश है