काले बादलों से दरकार कैसी
अगर बरसात कभी कभी नसीब हो,
जैसे कोई शक्स मिलने तो रोज आए
मगर मुलाकात कभी कभी नसीब हो ।-
ازل سے ہے فطرت میری راہبانه
"The solitude of wilderness alw... read more
कभी जिंदगी का खिताब दिया तो कभी ख्वाब कह दिया तुमको
अब उसी ख्वाब का जिंदगी में आना, मुश्किल बहुत है मुश्किल बहुत है
बिन खबर बे असर बा अदब बा हया मेरी हयात में आने वाले
मेरी हयात से बे मुरव्वत चले जाना, मुशील बहुत है मुश्किल बहुत है
लिखने को तो अंग्रेज़ी में भी कलाम लिखा जा सकता है लेकिन
इस वक्त में तो उर्दू ही लिख पाना, मुश्किल बहुत है मुश्किल बहुत है
शौक ए ज़ियारत भी आंखों में नहीं तमन्ना ए मुलाकात भी खत्म
बस अब तो फकत शहर में रहना ही, मुश्किल बहुत है मुश्किल बहुत है-
आवाज़ भी ना सुने और आगाज़ ए सुबह भी हो जाए
जानम ये मरहला मुश्किल बहुत है मुश्किल बहुत है
आप ज़ाहिर कर देते नाराज़गी हमसे तो भी सेह लेते हम मगर
खामोशी का ये ज़हर पीना, मुश्किल बहुत है मुश्किल बहुत है
कभी वो मीठी बातें रातों की कभी वो चंचल शरारतें तुम्हारी
उनके बिना दिन का गुज़रना, मुश्किल बहुत है मुश्किल बहुत है
बस अब जो गुज़र गए लम्हात उन्ही को मंजिल बना लिया हमने
अब किसी रेहगुज़र को पलट के देखना मुश्किल बहुत है मुश्किल बहुत है।-
अब अकेले ही तय करना है ये सफर हमको
तुम्हे जाना है चले जाओगे ये जान चुके हम
तुम्हारे शब ओ रोज़ ना जाने कैसे गुज़रते होंगे अब
तुम्हारे साथ गुज़रे लम्हों को मुट्ठी में थाम चुके हम
तुम्हारी नज़रें भी मुझसे नज़र चुराने लगी हैं अब
इन बेरुखी अदाओं को अलविदा मान चुके हम
हम क्या हैं जो थे फिर वही बन जायेंगे मगर
उस दिल का क्या जिससे तुम्हे अपना मान चुके हम-
The Silence
The voices are the passage between hearts. In our case, the minds were involved too.
But silence, I believe, is a language for the broken ones. We have fought till no words left. We have loved till no words left. In both the cases, silence seems to be the everlasting destination. What I see is that we have communicated more in silence than we would ever have done in words.
Silence is a medicine that heals the wounds we never knew existed. The language of silence is the universal donor in the science of communication which fills the void which words and language fail to fill.-
علوم کی بلندی ہمیں آسماں تک جو لے گئی
چین کر مگر ہمسے اہلِ زمینی ہماری
उलूम की बुलंदी हमे आसमां तक जो ले गई
छीन कर मगर हमसे एहल ए ज़मीनी हमारी-
To love is to feel the absence of the one in the presence of Infinities.
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कभी दुनिया खफा सी लगती है
कभी हकीकत से इन्कार हुआ करता है
कभी लिबास ए अहबाब में होने वाला भी
दायर ए अमल में अग्यार हुआ करता है
कभी ना उम्मीदी खुद से भी होती है
कभी खुद से इंसान शर्मसार हुआ करता है
कभी इम्तेहान ऐसा भी लिया जाता है
तमाम मरहलों का सिला हार हुआ करता है
अंधेरों में शमा मगर जलानी पड़ती है
खोए हुओं की उम्मीद मगर लौटानी पड़ती है
गिर कर भी मगर उठना पड़ता है नादान
हर शक्स भी कहां शहसवार हुआ करता है-
في بعض الأحيان لا نعرف إلى أين نحن ذاهبون ، لكننا نعرف ما الذي نفعله بنية صافية. وهذا جميل.
Sometimes we don't know where we are going, but we know what we are doing with pure intention.
And that's beautiful.-
वक्त ए माज़ी ले आया फ़िर इसी दो राहे पर
जज़्बात ओ फिक्र आ गए फिर इसके निशाने पर।
वो ना थे अगर अज़ीज़ तो बता दिल ए नादान
तु क्यू बेकरार होता है अक्सर उनके जाने पर।
लम्हात जज़्बात यादें फिक्र उम्मीद और जिम्मेदारियां
इन्ही को लिए फिरते है हम अब अपने शाने पर।
मासूमियत और ज़हानत ये दोनो परख ली मैने
लाना होता है जिनको तुम्हे वो ले ही आते हैं निशाने पर।
अजीब सी जगह है ये साहिल ए दुनिया या रब
वो मश्कूर नहीं मातलूब होते है लौट कर आने पर।-