Sahib Singh  
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Joined 27 August 2021


Joined 27 August 2021
1 OCT 2023 AT 17:50

दिन का आग़ाज़ कुछ इस तरह करना
देश के लिए जीना देश के लिए मरना

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30 SEP 2023 AT 19:31

जब कांटा और गुलाब संग हैं
फिर आप क्यों दुखों से तंग है
यहां हर हाल में लड़ना होगा
यह ज़िंदगी नहीं बल्कि जंग है!

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30 SEP 2023 AT 19:25

मायूस न हो दिल मेरे बहारें फ़िर भी आएंगी
जब समय अनुकूल होगा मरूस्थल में भी फसलें लहलहाएंगी!

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30 SEP 2023 AT 19:18

Being alone with you is like meeting my own being!

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30 SEP 2023 AT 19:15

मेरे ख़िलाफ़ बात करता है मेरा अपना होकर!
आख़िर मुझे ही डस मेरी आस्तीन में सो कर!

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30 SEP 2023 AT 6:07

रिश्तों को वही निभाते हैं जिन्हें आदमी की भूख है
वरना तो लोगों को लगता है कि प्रेम बस एक छलावा है, एक चूक है!

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24 SEP 2023 AT 14:18

मन से बोझ उतार दे और सहज हो जा
इस श्रष्टि का एक कण महज़ हो जा!

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23 SEP 2023 AT 7:55

यादों का इक जंगल है और मैं नितांत अकेले खोजता फिरता हूं उस रिश्ते को जो कहीं अकेले बैठा चुपचाप सिसकियां ले रहा है!
मैं उसे मिलकर अचंभित कर देना चाहता हूं....

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23 SEP 2023 AT 7:45

देखो तो अवसर ही अवसर है इस जहान में
आखिर क्यों रहते हो हर वक्त यूं ही परेशान से?
मंज़िल बांहे फैलाए तुम्हारे इंतज़ार में खड़ी हैं
और तुम इस सोच में हो कि कौन सी शुभ घड़ी है!

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23 SEP 2023 AT 7:39

दिल जैसा दुश्मन नहीं जो ख़ुद से ज़्यादा दूसरे के लिए धड़कता है
अपनी चिंता छोड़ कर औरों के लिए तड़पता है
हर पल हर घड़ी बस ग़ैर के बारे में सोचता है
और वो नहीं मिले तो ख़ुद के ही घावों को खरोंचता है!

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