अंजुमन में शायरों की कुछ इस तरह जिक्र हुआ मेरा
हमनें भी तस्लीमियत से जबाब में अपने तास्सुरात कह दिये
शायर :- तुम्हारा Attitude बड़ा खतरनाक है सागरिका
कोई बराबर का मिला तो मिट जायेगा
हम :- Attitude ऐसा ही रहेगा, हमसे मिलने वाले की तबियत सुधर जायेगी या बिगड़ जायेगी
शायर :- तुम्हारी अकड़ दुनियां की भीड़ से तुम्हें अलग कर देगी सागरिका
हम :- भीड़ से अलग ही तो रहना है, एक दिन मेरी जिन्दगी जीकर देखो तुम्हारी बोलती बंद हो जायेगी
शायर :- तुमनें तो मुहब्बत को पाक लिखा है फिर तन्हा क्यों हो ?
हम :- उसे हासिल ही करना होता तो आंखों का इशारा ही काफी था,
जज्बातों की भाषा तुम्हें समझ नहीं आयेगी
शायर :- मुझसे दोस्ती करोगी तो खुशियों की बहार आजायेगी
हम :- किताबों से यारी की है, मेरी जिन्दगी संवर जायेगी
शायर :- मिजाज अलग है दिखता है, किरदार अलग है साबित करो
हम :- मेरे जनाजे में आना, भीड़ मेरे बारे में सबकुछ बतायेगी
Dr प्रवीक्षा Dubey "सागरिका"
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