Sagar Sagar   (Sagar)
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Doctor by AIIMS NEW DELHI
Joined 15 August 2018


Doctor by AIIMS NEW DELHI
Joined 15 August 2018
4 APR AT 0:27

कि उसके ना मिलने का मलाल तो तह उम्र रहेंगा ।।।।
ख़ुद को रोज़ समझा लू फिर भी ख्याल तो रहेगा।।।।।
और इतनी बड़ी आबादी में मैं उस एक शक्स का भी हकदार नहीं था ।।।।।
खुदा तुझसे से मेरा ये सवाल तो रहेगा ।।।।।

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14 MAR AT 20:03

अब तो अकेले कमरे होली निकल जाती है।।।।
वरना एक जमाने में हम भी पूरा गांव नापते थे ।।।।

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2 NOV 2024 AT 2:27

"यत्र अन्तः तत्र नवः प्रारम्भः।"
"जहाँ अंत है, वहीं एक नया प्रारंभ है।"
अर्थार्थ
जीवन की असली कहानीं वहीं समझ आती हैं।।।।
जब आपको ये लगता है, कि बस यहीं अंत हैं।।।।

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1 OCT 2024 AT 1:08

कि कुछ इस तरह ख़त्म हुए,
उनके और हमारे बीच के आख़िरी अफ़साने।।।।।।
उन्होंने जो जो इल्ज़ाम लगाये हमने चुप करके सब माने।।।।।

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26 SEP 2024 AT 0:07

कि छोटी छोटी बातो पर वर्षों के यारानें गये।।।।।

चलों अच्छा हुआ देर से ही कम से कम लोग पहचाने तो गये।।।।

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25 SEP 2024 AT 12:27

भाग्यम् आनीय कर्माणि कृत्वा गच्छति,
शायद् एवम् जीवनम् अस्ति।

भाग्य लेकर आना और कर्म लेकर जाना,
शायद यही जीवन है।

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21 SEP 2024 AT 1:02

कदाचित् विशेषः भवति इति भ्रमं न पालय,
अत्र त्वां प्राप्य जनाः उत्तमस्य अन्वेषणं कुर्वन्ति।

कभी भी खास होने का वहम न पालो,
यहाँ आपको पाकर लोग बेहतर की तलाश में होते हैं।

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28 JUN 2023 AT 3:52

॥* यः व्यक्तिः शून्यः अपि भवतः मार्गे अस्ति
केवलं तस्य पूर्णं प्राप्तुं अधिकारः अस्ति*॥

॥*जो मनुष्य शून होकर भी आपने मार्ग पर दृढ़ता से बना रहता है
वही पूर्ण कों पाने का अधिकार रखता हैं*॥

॥*The person who, even while being empty,
remains steadfast on their path, retains
the right to attain completeness.*॥

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23 JUN 2023 AT 1:02

॥"प्रेमस्य आदाने-प्रदाने यदि छड़ भर्यामपि संकल्पयेत्,
तत्र प्रेमः कुत्र अस्ति"॥

॥"प्रेम कों बताने या जताने में यदि छड़ भर के लिए सोचना पड़े तो वहाँ प्रेम कहाँ हैं"॥

If one has to think twice before expressing or showing love, then where is love in that situation?

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23 JUN 2023 AT 0:33

॥”गुरुः कश्चन अस्ति यः शिक्षां प्राप्नोति, यः शिष्यायां सामर्थ्यं ददाति,
सः गुरुः अस्ति यः अपनां शिष्यं आत्मनि समानं वा सम्पूर्णं श्रेष्ठं करोति”॥

॥”गुरु कौन होता हैं?, जिससे हम कुछ सीख सके,
और असली गुरु वही होता है, जो अपने शिष्या को अपने जैसा या
अपने से श्रेषठ बना सके”॥

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