यार जिन्दगे हसीं है बहुत।
मुझे ख़ुशी है बहुत।
माना करने को नौकरी नहीं है,
पर फिर भी खुश हूँ मैं बहुत!
हर दिन भटकता हूँ नौकरी को तलाश में,
फिर भी ना उम्मीद और ज़िल्लत ही आती है हाथ में,
पर फिर भी खुश हूँ मैं बहुत!
उम्मीद, आश और काश तो,
अब मैंने बोलना ही छोड़ दिया है,
क्योंकि ये शब्द ही यार झूठ के लिए होता है।
पर फिर भी खुश हूँ मैं बहुत!
सड़क पर चलते-चलते,
जब छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में
किताब नहीं किसी सिग्नल पर भीख माँगता देखता हूँ,
तो उदास दिल को संभाल कर चल देता हूँ मैं,
क्योंकी लाचार हूँ मैं।
पर फिर भी खुश हूँ मैं बहुत!
ऐसी ना जाने कितनी ही और खुशियों से
ये जिंदगी ने, सिर्फ मुझे ही नहीं!
कितनों को नवाजा है।
तेरा शुक्रिया जिन्दगी, तेरा शुक्रिया।
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