ये जिंदगी मौत की अमानत है
उम्र है कि उफनता सैलाब है
वक़्त है कि बहती नदी है
मंजिल है कि आसमानों की सौग़ात में है
रास्ते है कि फ़िसलन भरे है
क़यास है कि सारे रंजिसो से परे है
इब्तिदा की इबारत भी ना-तमाम है
मुसर्रत भी अब तबस्सुम की अदावत में है
जिंदगी का फलसफा भी अब शमशीर की तिलिस्म में गिरफ्त है
जिंदगी मौत की अमानत है- साग़र
28 JUL 2019 AT 11:28