आओ के तुम कभी तुम्हें बताये
कितने उदास रहते है तुम बिन
हम जीते है कैसे हाल में बताये तुम्हें
तुम बिन तुम्हारी यादों के बिन
शाम का समय सुहाना होता है
तुम्हारी यादों के बिन दिल को भी जलाना होता है
कभी रुके थे हम दोनों एक दूजे के वास्ते
आज हम दोनों रुके है एक दूजे के बिन
ये ख़ामोशी में बड़ा शोर है
तुम्हारी बातों के बिन तुम्हारी आवज के बिन
देखना एक दिन तुम बहोत रोओगी
नम आँखों के लिये आँशुओ के बिन
राह तकते तकते तुम्हारी में चला ही जाऊँगा एक दिन
फिर तुम कैसे जिओगी मेरे बिन-
चांदी सोना एक तरफ , तेरा होना एक तरफ , एक तरफ़ तेरी आँखे , जादू-टोना एक तरफ
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तेरी तासीर के आगे एक जमाना लगता है अगर तू है हक़ीक़त यो बाकी सब कहानी का फ़साना लगता है
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नींद आंखों से ओझल हो गयी
रात तो आके गुजर गई पर तेरी याद न गयी
हर सूरत जिसे भी देखूं
पर तेरी सूरत आंखों से न गयी
आंखों से जो पिलाई तूने
शराब हाथों से न गयी
क़याम किया था कभी जो दिल-ऐ-हुजरे में
तेरे वस्ल की खुश्बू बदन से न गयी
कुछ यूं कसूर मेरा था कुछ तुम्हारा था
मानकर मेरी बातें वापिस आने को तुम न गयी
समय की दौर कुछ यूं बढ़ती गयी
मेरे हाथों से तुम दूर जाती गयी-
तुम्हारी आँखों मे अजब सी मस्तिया है के लिखूं इनपर ग़ज़ल तो अलग सी लफ्जो की दास्तानियाँ है ना हो मशरूफ़ इन्हें सजाने में ये पहले से ही सजी हुई कितनो की आंखों की हस्तियां है
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दुनियां में प्रेम का संचालन होना जरूरी है
मनुष्य प्रेम के अभाव में जी रहा है-
हम जब तक संतुष्ट होना नहीं सीखेंगे
तब तक हमारी इच्छाएँ खत्म नहीं होगी-
में अपने आप मे खो चुका हूं
तेरी यादों से उग चुका हूं
शहर भर में तन्हाई का आलम है
किसी से कोई राब्ता कर चुका हूं
पत्थरों से दिल को टकरा चुके
आंखों से आँशु बहा चुका हूं
आसमान में तारे थे जितने भी तमनाओँ के
सबको तोड़ चुका हूं
दरिया होकर भी पास में प्यासा ही सफर पर चल दिया हूं
कुछ इस तरह में मोहब्बत करके मोहब्बत हार चुका हूं
गांव के गांव वीरान हो गए है
पक्के मकानों से थक चुका हूं
मुतालबा नहीं करता मुस्तक़बिल तक जाने का
कितनी ही बार मुस्तक़बिल पर आकर गिर चुका हूं
रिवायतों से घिर चुका हूं
अपने ही हाथों से दिल तोड़ चुका हूं
पहुंचकर मंजिलों तक अपनी
में अपने आप को हार चुका हूं-
हर रोज़ तेरी याद से टकरा रहे है हम
कुछ गाम चल रहे है बिखर जा रहे है हम
एक ओस जम रही है दिल ए दाग में
एक आग लग रही है सुलग जा रहे है हम
इसमें कसूर मेरा नहीं है तुम्हारा है
ये बात बोलकर बड़ा पछता रहे है हम
उसने कभी जो की थी मेरे हक में बद्दुआ
वो हो गई कुबूल के घबरा रहे है हम
जो मेरा नाम लेके पुकारा था इस तरह
वो याद कर रहे है और इतरा रहे है हम
तूने जो मेरे प्यार में बरती थी सख्तियां
अब दिल निसार करने से कतरा रहे है हम
उसने दिया था अपना पता एक रकीब का
अब शाम हो चुकी है तो घर जा रहे है हम
उसने कहा कि मिल के बिछड़ जाए ना कहीं
न रो रहे है और ना हस पा रहे है हम-
जिन्दगि के किताब के कुछ पन्ने खाली है कुछ भरे है
हम गैरों से नहीं ख़ुद से हारे है
आँधियों में देखो तो एक शजर गया था
किसे ख़बर कि हमारा घर भी गया
किसे ख़बर क्या होने वाला है
अगले पल कौन रोने वाला है
अपने ही गमों को सींचते है लोग यहाँ
वरना किसे ख़बर है कौनसा ग़म है हमे यहाँ-