Many times the simple solution is not the solution.
Many times even having the solution is not the solution.
And many times we don't even want solution...-
The reflection of the world..!
And the WORLD is the reflection of ME...
शाज़िश है ये आंसुओं की, कि किसी तरह यह बेह जाएं
कोशिश है पुरज़ोर ये मेरी, कि किसी तरह यह थम जाएं
इन्हें लगता है कि इनके छोड़ जाने पर तन्हाई कुछ कम होगी
एक इनका ही है साथ अभी, न रहे ये तो कहां हम जाएं
इस अकेलेपन में इनमे ही अपना वजूद मिला रखा हैं मैंने
गर अभी जुदा हुए तो इस ख़ुश्क़ आबो हवा में दोनों रम जाएं
हम दोनों की बेचैनगी है, कि अब वो कंधा आखरी मंज़िल हो
ये शख़्श ए वजूद सम्हल सके, और जहां ये पलकें हो नम जाए
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बातें कितनी छोटी होती हैं
कितनी बातें छोटी होती हैं
ये ख़्वाहिशों की है कशमकश
या उन हालातों का इंतज़ार है
कि बातें कुछ बड़ी हो जाये
या कुछ बातें बड़ी हो जाये-
हों खुली या बन्द निग़ाहें, कहीं देखता है नज़रिया।
हो कई या चंद निग़ाहें, यहीं रेख़ता है नज़रिया।।
ग़र इंसाँ मुत्तफ़िक़ नही यहां रुख़-ए ज़माने से,
हो सहीं पाबंद निग़ाहें, ज़माना, उखाड़ फैंकता है नज़रिया।।
शर्म से नज़र झुका दे कोई, अपनी नज़र में गिरा दे कोई।
हो नही जो मंद निग़ाहें, हर नज़र में, इक ख़ता है नज़रिया।।
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भरम साबित हो रहे हैं हर मंज़र, असल सूरतेहाल तो वो होगा
जिसे मन, दर की आगोश में मंज़ूर कर रहा होगा...-
न रहा जा रहा है ना रहा जाएगा
उनकी खैरियत का ख़याल ज़ेहन से कहाँ जाएगा
ये ख़ुद की लगायी पाबंदी है, या वक़्त ने होंठ सिये हैं
कब वो कुछ कहेंगे, कब हमसे कुछ कहा जायेगा
हाल ए दिल रुंधे गलों में इस कश्मकश में है
गर बाहमी बयाँ न हो, तो कब तक सहा जाएगा
दो पल मुद्दतों बाद भी मिल जाये कभी और
खामोश हुए किस्सों में शिद्दत से बहा जाएगा-
शायद खैर ओ उल्फत मुक़म्मल
हो पाना मुनासिब नही अभी।
शायद इम्तिआज़ ए शख्सियत में,
बेहतरी की गुंजाइश और भी है।।-
Sometimes getting lost is what all we need, so that someone would find us.
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