12 JUN 2021 AT 21:39

जनाब शराब पीना भी एक कला है.
कम्बख्त कई गम घोलने पड़ते है,
इक शीशे के प्याले मै,
तभी जाके कहीं फ़क़ीर नवाब बन जाते है,
रंगीन मयख़ाने मै

- Alfaaz Sagar ke