हम भी आशियाना अपना, बना लेते तो देखते !
अंधेले में रोशनी जरा, जला लेते तो देखते !
गुम नाम सा है, सुना है चांद सा है वो,
तस्वीर अपना वो कहीं, लगा लेते तो देखते !-
जैसे रहता है चांद आसमां पे !
मेरे कमरे की तुम भी खुश्बू बन जाओ !!
ये सावन का महीना, ये रिमझिम सी बारिश !
बेचैन रातों की तुम आरजू बन जाओ !!
जैसे देखता हूं, तुम्हें सपनो में रोज रोज !
मेरे सामने आओ, वैसे हूबहू बन जाओ !!
तुन्हें सजा लूं कमरे में, किसी मूरत जैसे !
मेरे दिल की तुम सनम आबरू बन जाओ !!
मैं भटकता सा हूं, सीने से लगा लो मुझको !
मैं साजन बन जाऊं, तुम मेरी महेरू बन जाओ !!-
खामोश हूं, कुछ लब्ज़ बाकी ही नहीं !
मेरी वफा का, ये कैसा सिला है !!
ऐसी बेवफाई कभी किसी को न मिले!
जो मेरे मोहब्बत के बदले में मिला है !!
मेरे इश्क ने ही, मुझसे धोका कर दिया !
उससे नहीं अब मुझे खुद से गिला है !!
मेरी सौहरत क्या कम थी, जो ऐसा कर डाला !
नशा ए जिस्म है उसे, मेरा यार बहुत नसीला है !
हर महंगी चीज खरीदने की हैसियत है मेरी !
सब फीका है आज है ये कैसा सिलसिला है !!-
जी घबरा क्यूं रहा, मैं परेशां क्यूं हूं !
किससे बात करती है वो, इतनी रात गए !
कहीं उसके दिल में, कोई और तो नहीं !
यही सोच के हम पागल हो दिनरात गए !
कुछ कह ना सका, क्यूं खामोश हो जाता हूं !
करने तो कई दफा, उनसे मुलाकात गए !
कुछ ख्वाब मेरे, बिखरते क्यूं नजर आ रहे !
लगता है अब, बिखर सारे जज़्बात गए !
मेरे रातों में, बारिश ए माहौल कभी हुआ नहीं !
जबकि दो महीनों के बीत, बरसात गए !-
Online थे तुम देर रात मगर, किसी और से !
वो बेचैन है, बस यही सोच कर बार बार !
कहीं तेरी जिंदगी के ख्वाब में, कोई और तो नहीं !
परेशां है वो, बालों को अपने नोच कर बार बार !
तुम्हें सच्ची मुहब्बत क्यों, नजर नहीं आ रही !
क्यों रुलाती हो उसका दिल, खरोचकर बार बार !
कमजोर है दिल, दर्द छलक जाता है !
बेचारा आंशू छुपाता है वो, पोंचकर बार बार !!
और किसी को दिल ने रखने का वादा किए हो !
मत फेंकों उसी का दिल नोचकर बार बार !-
बस दो आखिरी अल्फाज, याद है मुझको !
कि वो मुझे इक दिन, सॉरी कहके चली गई !
वादा था उसका, बसेरा दिल में हमेशा रहेगा !
देखो ना, वो कुछ दिन ही बस रहके चली गई !
क्या खारा था मोहब्बत मेरा, या पकड़ कमजोर थी !
फूटा बांध इश्क का, और वो बह के चली गई !
मेरे दिल का हाल तो देखो, भटक रहा है !
उसकी खोज में, दिल सीनें से निकल के चली गई !
जिस राह से गुजरी है, रास्ता खराब है बहुत !
मेरे पैरों में कांटे चुभ रहे, लगता है वो संभल के चली गई !-
दौड़बारी इस जिंदगी में, परेशाँ हैं सब !
काम के चक्कर में, जिंदगी जीना छूट जाता है !
कुछ बुरे चीज़ें, अच्छे के लिए भी होते हैं !
उतर जाता है बुखार, जब पसीना छूट जाता है !
और अगर बीवी थोड़ी समझदार मिल जाए !
सच कहूं अच्छे अच्छों का, पीना छूट जाता हैं !
वैसे हमारे परेशानियां भी, कुछ कम नहीं हैं !
वेतन हमारा भी, महीना महीना छूट जाता है !
तुम भी बेवकूफों से, कुछ कम नहीं हो सागर* !
गुलाब लाते हो, डर के मारे उसे देना छूट जाता है !-
घर नहीं है, ना ठिकाना रहने का !
फिरते हैं दरबदर, ये बंजारे लोग हैं !!
साधन नहीं है, तो परेशान हैं बहुत!
ये जो खड़े, सड़क के किनारे लोग हैं !!
बस तेरी निगाह, बनी रहे ए खुदा !
इतने भीड़ में भी ये, बे सहारे लोग हैं !!
ना बारिश के झिपारों से बचे, न धूप से !
भूखे पेट भी कई, दिन गुजारे लोग हैं !
किसी के दर्द को देखकर, नजरअंदाज करते हैं !
अपनी नजरों में रखते, कैसे ये नजारे लोग हैं !-
दिल ए किताब के, पहले पन्ने पे तुम हो !
कौन कहता है कि मैं तुम्हें अपना नहीं मानता !
मेरे पलकों की, नजरों के आरजू हो तुम!
तुम हकीकत हो मेरी, मैं तुम्हें सपना नहीं मानता !
इतनी दफा देखा है, फिर भी जी नही भरता !
ये दिल कमबख्त तुम्हें, देखे बिना नहीं मानता !
तेरे दिल में हूं, मानो जन्नत में रहता हूं !
मेरे घर को अब, अपना ठिकाना नहीं मानता !!
रोज रोज दिल का पूछना, वो क्यों नहीं आती !
तुमसे मिले बिन, ये आशिक तेरा पुराना नहीं मानता !!-
मेरे महसूसोंं से, कोई खिलवाड़ कर रहा !
इश्क मेरा कहीं, बदनाम तो नहीं होगा !!
इस रात जी घबरा क्यूं रहा, मैं बेचैन क्यूं हूं !
कहीं वो किसी और के, दरमियान तो नहीं होगा !
देखी है आज किसी और से तस्वीर उसकी !
उसके झूठे बहाने, मेरी वफा का इनाम तो नहीं होगा !!
भूल जायेंगे मुझे, औरों से दिल्लगी करके !
कहीं मेरी मोहब्बत का ऐसा, अंजाम तो नहीं होगा !
मत करो मोहब्बत कि बेचैनियों से दूर रहोगे !
कम से कम खुश रहोगे, दिल परेशान तो नहीं होगा !-