Sagar Badola   (Sagar Badola)
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My name is siddharth shankar badola .I am from UK (Uttrakhand )
Joined 27 April 2018


My name is siddharth shankar badola .I am from UK (Uttrakhand )
Joined 27 April 2018
18 AUG 2022 AT 16:36

वो यादें दीवानी
वो बाते सुहानी
वो गीतों का गाना
वो मौसम सुहाना
वो भेजे तेरे हर संगीत
की तरह में तेरे
जहान में हरपल
गुन गुनाऊगा।
तुम्हें क्या लगता है ।
मैं तुम्हे यूंही भूल जाऊंगा ।

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18 AUG 2022 AT 16:28

वो बाते वो सपने,
जो देखे थे अपने
वो बाते पुरानी ,
वो मीठी कहानी
तेरी यादों में बैठा,
मैं तुम्हें सुनाऊंगा।
तुम्हें क्या लगता है ।
मैं तुम्हे यूंही भूल जाऊंगा ।

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7 AUG 2022 AT 4:58

वो बाते वो सपने,जो देखे थे अपने
वो बाते पुरानी ,वो मीठी कहानी
तेरी यादों में बैठा,मैं तुम्हें सुनाऊंगा।
तुम्हें क्या लगता है ।
मैं तुम्हे यूंही भूल जाऊंगा ।

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3 MAY 2022 AT 23:21

न जाने क्यों मैं इस,
भरम-ए-दिवानगी में लेटा हूं ।।2
उसने कहा था,मैं कॉल करूंगी बाद में ।
उसने कहा था,मैं कॉल करूंगी बाद में ।
और मैं अभी तक,उसके कॉल के इंतजार में बैठा हूं ।

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2 MAY 2022 AT 6:09

माना नादानी में बाते खाक रखता हूं ।
पर दिल तेरे लिए हमेशा साफ रखता हूं।
गुजारिश हैं बस इतनी,
की मेरी रूह - ए - मोहब्बत का इंसाफ करना।
गुजारिश हैं बस इतनी ,
की मेरी रूह - ए - मोहब्बत का इंसाफ करना।
मुझे मेरी बातो गुनाह जुल्मों के लिए अब माफ करना।

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1 MAY 2022 AT 2:31

चल अब फुरसत से रहोगे तुम।
चल अब फुरसत से रहोगे तुम।
हमारी कहानी खतम।
हमारा किस्सा खतम।

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18 APR 2022 AT 3:01

ये अश्क झूठे नहीं ,ना बाते बेकार हैं।
कुसूर इतना है मेरा कि मुझे तुमसे प्यार है।
किसी तीसरे के लिए में अपने रिश्ते को कुर्बा नहीं कर सकता।।
किसी तीसरे के लिए में अपने रिश्ते को कुर्बा नहीं कर सकता।।
इतना तो इल्म रखो की तेरे होने से ही मेरा नूर-ए-दीदार हैं।
ये अश्क झूठे नहीं ,ना बाते बेकार हैं।

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18 APR 2022 AT 2:38


मेरी हर एक बात सच्ची
मैंने तुझे हमेशा सच ही बताया है ।।2
कैसे करदूं तेरी बात को इनकर बिना दर्द के।
कैसे करदूं तेरी बात को इनकर बिना दर्द के।
अपनी बात रखते हुए हमेशा
मेरी आंखो से आंसू तक आया है।
मेरी हर एक बात सच्ची
मैंने तुझे हमेशा सच ही बताया है

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17 APR 2022 AT 18:03

वो रुत , फिजा , दिलकाश नरजारे सभी मुझे सुनाने लगे।
वो जिनको समझा था हमारा किसी दौर में वो भी बहाने बनाने लगे ।
हर आलम में अलग रुत हो गई थी जिसे देख कर, सागर
हर आलम में अलग रुत हो गई थी जिसे देख कर , सागर
अब हर जर्रे में वो खुदी से मौसम का मिजाज बदलाने लागे ।
वो जिनको समझा था हमारा किसी दौर में वो भी बहाने बनाने लगे ।

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10 APR 2022 AT 2:21

कहती हैं, सहम सी जाती हूं ।
प्यार की नजदिकिया देख कर ।
दूर से ही करती हूं दीदार ।
अपनी नम आंखे टेक कर ।
नजाने क्या सोचती रहती हैं ,ख्यालों में ऐसा ।2
जो बेफिकरी से मुझे खुल कर ,समझाती नही।
वो मुझसे प्यार करती तो है पर बताती नहीं।

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