sagar agrawal   (सागर अग्रवाल)
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Writer
Thinker
Joined 5 August 2019


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Joined 5 August 2019
13 MAY AT 21:45

वो दूर खड़ी मुस्करा रही थी
कह रही थी
देख क्या हश्र किया मैंने तेरा
मैं कहा
अरे जा पागल
एक रात में चॉंद की चाँदनी कम नहीं हुआ करती है ।।

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10 JAN AT 9:37

“Not every deserving person gets, what he deserves”

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30 NOV 2024 AT 22:14

क्या ही लिखूँ तेरे बारे में
तू तो एक चलती फिरती किताब है ॥

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28 NOV 2024 AT 21:55

कहने को तो बहुत कुछ था ।
पर तेरी इक झलक ने ,
मेरे शब्दों को ही फना कर डाला ।।

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26 NOV 2024 AT 23:04

तुम्हारी आँखों में डूबने का दिल करता है ।
तुम्हारा होने के लिए जी मचलता है ।।
एक बार क्या ख़फ़ा हुए तुम ,
अब तो ख़ुद की परछाई से भी डर लगता है।।

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31 OCT 2024 AT 17:10

लिखने की आदत सी छूट रही है,
क्योंकि
लिखने जैसा कुछ रहा नहीं और
सोचने जैसा कुछ बचा नहीं ।।

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8 MAY 2022 AT 17:29

The first and foremost teacher
The ultimate guru
The lifelong lesson till death
Maa
You can't be describe in a single day because you are universe
Or
Whole universe in you

Happy mothers day to all the mothers!!

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3 APR 2022 AT 0:28

कि जिसके लिए आज तुम्हारे पास वक़्त नहीं है कल वक़्त तो तुम्हारे पास होगा लेकिन वो इंसान नहीं होगा!!

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15 FEB 2022 AT 9:07

दंगे फसाद वो करवाते हैं
हिन्दु मुस्लिम के नाम पे आज भी लडवाते है
कभी हिजाब कभी भगवा कभी चंदन टीका वो लगवाते है
परंतु आज भी मेरी माँ की औलाद वो नहीं कहलाते है !!


कभी मंदिर तो कभी मस्जिद  के नाम पर लडते हैं
आजादी के सत्तर साल बाद भी धर्म जाति भेद भाव की बातें करते हैं
क्यूँ उस एकता अखण्डता की डोर को
हम आज याद नहीं रखते हैं!!


बहुत हुआ ये धर्म जाति मजहब के नाम पर लडाई
अब वो घड़ी है आई
कि
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब बोले हम है भाई भाई
और उठ खड़े हो बोले
लागू करो समान आचार संहिता बहुत हुई मेरे देश की धूल चटाई
तब एक नया उत्साह नई उमंग होगी
फिर से एक नई सुबह होगी!!



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31 JAN 2021 AT 10:48

अक्सर चेहरे पर मुस्कान रखने वाले लोग
रात के अंधेरे में रोते नजर आते है।।

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