ज़िंदगी ने इतनी दफा तोड़ा हैं हमे,
अब हमने टुटना भी तरीके से सिखा हैं..
रहम मत दिखाना ए तकदीर,
अब हम ने लढना भी बेरहमी से सिखा हैं..
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Hoto par shayari, hat me jaam hain..
Aap apani fikar karana janab,
Hum to jamane se badnam hain...!!-
खुशामद-ए-कहर-ए-बहारा तबियत-ए-खास को हमारी रास-ए-अंजाम ना था..
मुटठी भर खुरेदी मिट्टी को गड्डीभर दिखाने का वजुद-ए-आम ना था..!
रेहमते-ए-आशना रास ना आयी हमे..
दिखावा हमारा, सर-ए-आम ना था..!!!!
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नारी
तू दे सके जिंदगी .. तू ले सके जिंदगी..
मिला सके तू राख मे.. उठा सके तू खाक से..
तू बन सके चिंगारी से.. शोलो को तू बना सके
पीघला सके हिमालय को..समंदर को तू जला सके..
कर सके नर्म लोहे को..तू कर सके सख्त उसे..
रोख सके तुफान को.. तू मोड सके उसे..
बना सके निवाला तू.. तू जला सके उसे..।
तू धूप हैं.. तू छाव हैं..
तू शीतल हैं.. तू तांव है
तू शाक हैं.. तू पत्ता हैं
तू फुल हैं.. तू फल हैं
तु प्रेरणा हैं.. तू प्रार्थना हैं
तू शुरुवात हैं..तू अंत हैं
तू सफर हैं.. तू मंजिल हैं..।
दिल मे लगे तू ताबाही हैं..
जिगर मे लगे तू हैं तख़्लीक़...
तू दरकार हैं..
तू इल्म हैं..
तू ब्रम्ह हैं..
तू शिव हैं..
ए नारी... तू आग हैं...!!!!!
तू आग हैं.. थोडा थम के सुलग।
तू आग हैं.. थोडा जम के सुलग।
तू आग हैं.. ना बूज कभी।
तू जिंदगी हैं.. ना थम कभी..!!
-दिग्विजय खंडाईत-
वो कहते रहे, छोड सारी रंजिशे..
हम छोड ना सके,
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बस्स अब..
यही एक रंजिश ले बैठे हैं वो..!!-
बर्दाश्त की हद तो कब की पार कर चुके हम..
बस्स अब देख तेरे जुल्म की चाह रहे..!!-
बात तब नही बनी;
जब हम बहोत बात करते थे,
बात तो तब बनी;
जब हमारे पास केहने के लिये कुछ नही था-
दर्द भी अब दर्द नही देता..
थोडी खैरियत आजमाई जाय..?
बेचैनी का समंदर तो तैर गये..
क्या सुकून की कुछ बुंदे पियी जाय ??-