बो दूर रहकर, मेरे पास, रहने लगा है। मेरी खामोशी मे, मेरे ख्वाबों me रहने लगा है, बो निकल गया, खुदको लेकर, गोया कुछ छोड़ गया है, आयेगा, लौट आयेगा, कुछ महीनों , कुछ साल बाद आयेगा, यही लगा रहता है,
के मुशलसल जो चाह बो मिला ही नही, दर वदर भटकते रहे हमेशा,, हम उन पत्थरों की पूजा करते रहे , न बात समझी गई, न एहसास समझे गए, न ख्याल पूछे गए,न जज्वात समझे गए....?