Saddam Ali   (SaddamAli Sayyed)
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Joined 13 May 2018


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Joined 13 May 2018
14 JUN 2021 AT 12:23

बेवजह हर रिश्ते से प्यार किया है,
मनघडत कहानियों मे खुदसे खुदको आबाद किया है,
अच्छा भला तू खुश था ना लेकिन,
क्या जरूरत थी जो प्यार किया है!

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1 MAY 2021 AT 20:34

धूप आए, आए बरसात और चाहे दिन में रात,
सुकून मेरा और जान मेरी ला अब लौटा दे आज..

मोहब्बत थी , थे ज़ज्बात और शायद प्यार ,
लायक नहीं, नाही हक़दार तुम मालिक नहीं थे,
थे किराएदार..

अब कि बार बरसात मे दोस्त ढूंढेगे,
साफ़ दिखते नहीं रंग और राज..

ये लोग जो डूबे हुए है इश्क के समन्दर मे,
इनको समझाओ, बचाओ, है खुदकुशी हराम!!

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28 MAR 2021 AT 1:09

तुम मोहब्बत हो या एहसास हो,
तलब हो या खुमार हो,
मेरे हाल ए दिल का सबाब हो,
और तुम्ही हा बस तुम्ही इलाज हो,
दुनिया के लिए तुम मेरे कुछ नहीं,
पर मेरी कहानी का आखिरी राज हो ❤

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4 JAN 2021 AT 0:33

तुम देख कर शेर पढ़ते हो,
मैं आखें मूँद लेता हूँ,
तुम सच बताना चाहते हो,
मैं सच छुपाना चाहता हूँ!!

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2 SEP 2020 AT 0:42

हर कहानी मे मैं तेरा हो जाऊँ ये जरूरी तो नहीं,
प्यार किया था हाँ मगर उसूली तो नहीं,
माँग ने पर जान हथेली पर रख देता,
पर हर कहानी मे मेरा खात्मा हो? जरूरी तो नहीं..

तुझको रिझाने का हुनर तो मालूम है,
उसपर भी लोग जलते है,
ये हुनर जमिनी है आसमानी तो नहीं..

पूछती है,
कहानी खत्म कैसे करनी है,
खुशी से या गम मे,
अरे,
मोहब्बत हुई तो इत्तेफाकन हुई,
मंसूबी ही हो ऐसा जरूरी तो नहीं!

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17 JUL 2020 AT 1:37

चाय के साथ पहली बार उदासी छायी थी,
टेबल के उस तरफ बैठी वो,
जब आखिरी बार मिलने आयी थी!

कतरा भी हिला नहीं प्याली से,
आखों मे भले डाब जम आयी थी,
वो जब आखिरी बार मिलने आयी थी!

डरावनी दोपहर थी, उजालों मे घनी घटा घिर आयी थी,
बस स्टँड पर छोड़ने गया था उसको,
पर वो हाथ ना छुड़ा पायी थी,
एक पल मे हजारो यादें याद आयी थी,
वो जब आखिरी बार मिलने आयी थी!!

कस के पकडा उसने जैसे कोई छीन लेगा मुझको,
कुछ पल मे अब वो परायी थी,
जब आखिरी बार मिलने आयी थी!!
जब आखिरी बार मिलने आयी थी!!

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8 JUL 2020 AT 15:22

इश्क मे पागल है, दिवाना लगता है,
जीना जैसे इसका जुर्माना लगता है,
कभी खुशी मे रो दे , कभी ज़ख्मों पर हसने लगता है,
ये आईने में कौन है? कोई नया लगता है!

दर्द मे है शायद, या तो बहोत खुश है,
बेचैन जाने क्यों हर वक़्त लगता है,
बिखरे बालो मे लंबे दिन काटता,
कभी हर पल सवरता है,
सीने मे बादल जो घिर आए है,
रोने को तरसते है,
झूठा कहीका !
जिम्मेदार होने का नाटक करता है!!

ये आईने है कौन ? कोई नया लगता है!!

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7 JUL 2020 AT 20:58

मेरे ख़यालों से हटकर कभी उतर भी जाओ तुम,
अजीब जबरदस्ती है, किसी और को चढ़ने ही नहीं देते!

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6 JUL 2020 AT 21:58

टूटा हुआ हूँ, बिखरे टुकडे है,
मेरा खुद का किया है,
सब सपने बिखरे है,
जब हवा सी आती वो रोज थी,
अब गर्म ये फिज़ा है,
मुझे लगता था आसान जुदाई है,
अब देखो जान पर बन आयी है..

मैंने रुलाया उसको था बहोत,
आसुओं को पानी समझा बहोत,
अब खुद पर जो आयी है,
बहते समन्दर है बहोत..

हर जोड़ दुखता है, कभी सिर पकडता है,
हाथ थरथरते है, मैं हस्ते रो देता हूँ,
ये एहसास नया है डरावना है,
जैसे ज़ीन हो कोई जो कान में आकर रोता है!

खुश रहना उसके पास,
मैं याद रोज करूगा,

माफ कर देना बस,
अब नहीं करूगा! (गलती)
माफ़ कर देना बस....

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18 JUN 2020 AT 0:43

आसमान को हटते देखा है, जमीन को सरकते देखा है,
माँ को जिसने गुज़रते देखा है!!
वो हवा थी नमी भी,
वो दवा थी सुकून की,
वो छाव जैसे पीपल की,
नजर ना आए तो कांप जाती रूह मेरी,
ये लिखकर भी मैं रोया हूं, सब पाकर भी सब खोया हूँ
दुआ है बस इतनी माँ रहे और कुछ नहीं 🙏

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