ऐसा नहीं कि मैं रोया नहीं तेरे दुर जाने से,
मसला ये है कि फ़क़त माहिर हूँ मैं अपने गम छुपाने में-
Writing is not my passion , it... read more
ये जंग, ये खून, ये लड़ते झगड़े लोग...
जाने ले रहें है एक दूसरे की हर रोज़
कहते हैं सुकून नहीं दिलों में,
और फिर मारते हैं इंसानियत को हर रोज़
कहीं औरत है बेचारी, कहीं मर्द है बेचारा
मददगार न कोई हमलावर है जमाना सारा-
Do pal jo tanhaeyon me hum khush rah lete hai
Uski wzh ho tum :)
Zindagi me kisi jarurt se nhi, bewazh ho tum
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Dil k dharakne se lekar rooh k tadapne tak
Sanso k chalne se lekar ankho k band hone tak
Lafz dohra du mai wo hazar bar
khuda wo ek hi sakhs de mujhe har bar-
कौन हूं?
मैं नारी हूं, खो कर सब कुछ जीवन में विरता से खड़ी रहु
वो बलशाली हृदय रखने वाली काली हूं
दुर्गा हू हर उस महिषासुर के खातिर जो मुझे अबला कहता हँसता है मेरे अस्तित्व पे,
वंश का वंश बढ़ा दे, चाहे तो हर वंश का नाश करा दे,
वो नारी हूं जो जननी है, मृत्यु है, शक्ति है और हर दुख सुख में साथ खड़ी कृष्ण की राधे शिव की गौरी है
मेरे अन्दर उबलता आग मेरे अस्तित्व का एक अनूठा भाग है दया की देवी मैं, मेरा स्वाभिमान मेरा सिंगार है
मैं ही अब हर दुख हरनी हूं, सुख शांति और समृद्धि हूं,
चाहो तो मैं नारी तुम्हारे भाग्य सवार दूं,
अबला जो समझो तुम मुझको विनाश का हर द्वार दिखा दूं।
हां मैं नारी हूं 👉👈
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साम्राज्य का कोई राजा बलशाली हो ,
विकास की हर दौड़ में भले वो शामिल हो,
संबंध कितने भी अच्छे हों उसके अन्य देशो से
गृह युद्ध जब रोक सका नहीं,नारी को को लक्ष्मी कह के भी,उसके सम्मान की रक्षा कर सका नहीं.
कौन भला उसे महान कहे, जो नफरत की अग्नि में जलती अपनी नगरी की रक्षा कर सका नहीं।-
बेजान सड़कें कई जान जाते देखती होंगी,
मासूमो की लासे अपने गोदो में ले, ये रात भर रोती होगी
ख़ून के कतरो को समेट अपने छाती मे , हर सक्स को कभी ना कभी याद करती होगी ,देख के इंसानो की हैवानियत ,अपने बेजान होने पे भी वो फखर करती होंगी
ये सड़कें भी तो हम पर तरस खाती कभी,तो कभी हमें कोसती होंगी
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और एक औरत की बेवफाई ने हर औरत की मुहब्बत पर सवाल खड़ा कर दिया,
समाज को मिंटो ना लगा अपनी बहुओं को बाहर से पढ़ाइ छुड़वा बुला लिया
पर कौन कहेगा की शामिल तो एक और मर्द भी है जिसने इसमें कुछ बिगाड़ा है,
उस मर्द ने भी तो कई औरतों के साथ बीवी होते हुए भी अपना हवस मिटाया है
सवाल उठाना गलत नहीं, पर दोनों पे उठे तो सही है
अगर बेटी पढ़ाना गलत नहीं, तो बहू पढ़ाना भी गलत नहीं है
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इस जमाने की मुहब्बत का समझ नहीं आता,
जान देने वाले प्यार में जाने कब जान लेने पे उतर आया,
बात बस वफ़ादारी ना निभाने की नहीं, रिश्ते को मिंटो के हवस के खातिर तोड़ जाने की है
बात ये भी छोड़ दो कि धोखा दिया तुमने पर उसका क्या जिसका एक एक पसीना शामिल है तुम्हें बनाने में।
कामयाबी मिल गई, अब वो शख्स तुम्हें गरीब, घटिया, पुराना लगता है
एक बार उसकी मोहब्बत का भी तो सोचो
जिसकी गरीबी ने तुम्हें इतनी बड़ी शख़्सियत बनाया है
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