इन्ही के जैसे मैं भी मिटा हूँ , तू आकर देख तेरे दीए गुलाब , की तरह मैं भी तेरी मुहब्बत को तरसा हूँ । आओगे किसी दिन इस चाह मैं , तेरी यादों को संभाले बैठा हूँ।।
वो बाते जो में खुद से करता हूँ ;- नही हो पाए तुम मेरे बस यही सोचता रहता हूँ ;/ क्या इश्क़ में मेरे कमी थी या तुम बेवफा थीं बस यही सवाल खुद से करता रहता हूँ ;-
बिन तेरे गुजार दी ज़िंदगी, अब उम्र के आखरी पड़ाव पर हूँ,। मिट रहा हूँ ऐसे जैसे में , फिर तेरी तलाश में हूँ,। गुजरती सर के ऊपर से धूप तेरी यादों की फिर भी जी रहा हूँ,। कुछ दिन की सासों के लिए भी उसका इंतेज़ार आज भी कर रहा हूँ।
होली के इन रंगों की जरूरत नही मुझे,।। मुझे तप इश्क़ के तेरे उन रंगों में रंग जाना है,। । बना कर दुनिया गुलाबो की तुझे गुलाब की तरह अपनी दुनिया मे बसाना हैं,।