Sad Shayar- Hemant Singour .  
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Joined 13 January 2022


Joined 13 January 2022
2 DEC 2023 AT 16:14

मजबूरी है कैसी तू बताएगी नहीं
बंदीशो की बंधी डोर
मेरे गिरीवान में दिख ही जाएगी कहीं
मैं मदहोशी में बेशक रहूँगा'
इंतजार करता था और करूँगा
वाबजूद " पिछले कुछ अरसों की तहर तू आज भी आएगी नहीं


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12 NOV 2023 AT 15:38

चहिता कोई वापस लौट के आएगा
यहीं आस लिए ये त्यौहार मनाया जाएगा

जैसे कार्तिक मास की अमावस्या को श्री राम आए थे
लोगों ने फिर उत्साह-उमंग के दिप अयोध्या में जलाए थे

कोन-कब समयावधि की सीमा से परिचित था
"केवल 14- वर्ष " ये अनुमान बिल्कुल झूठा था

वो आंखें सच बनाएगी '
जिंहोने राह देखतें सदिया बिताई थी

समर्पण का सच स्नेह की लोह में दिख जाएगा
जमन्मंतर के चक्र की काली रात में ही सही वो आएगा .

🪔 Happy°-Diwali 🪔

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22 JUL 2023 AT 7:42

मेरी हर बात पे तुम ने हामी भरी थी
मैंने भी तुम्हारी हर बात गौर से सुनी थी
याद है तुम्हें _ _ _
हम मिलगे खुशनुमा खास वो दो दिन ये तय किये थे
मुकम्मल चुनिंदा दिन ही रह गयें थें

खैर औरों की शुभकामनाएं
के बदले सुक्रिया कह दूँ ?
मैं आऊंगा सजदे को दर पे तेरे
अच्छा होगा 'गुस्ताखी से पहले
मांफी की आरजी दे दूं .

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15 JUL 2023 AT 0:11

आज जश्न हम साथ मनायगे
दुआओं का पिटारा मंदिर की चोखटो में छोड़ आएगें जन्मदिन जो आया तुम्हारा
यहीं विश्वरूप पर्व कहलाया हमारा
लम्हे खास दिन का ये उजाला
लगता एसे सजदें में कतारें लगा दूं
पहले मैं तुम्हारे कदमो की धूल माधे लगा लू
सौगातें सारी बिछा जहां सजा दूँ
ख्वाइशें पूरी होगी कभी बता दूँ
खैर पल ये खुशीयों के हम नहीं गवायेगे
दो प्याले तो जरूर झलकायेगे
तुम दैर रात यही ठहर जाना
मेरी आँख बंद होते ही चले जाना
यू तो रूह रहती तुम्हारी हमेशा पास मेरे
हो सके तो आज नूरानी चहरे का दिदार करवाना ...
🎉 शुभकामनाएं जाना ...


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28 APR 2023 AT 20:17

आसमानी काली घटाएं छा रही थीं

तन्हाइयाँ कानों में शोर मचा रही थीं

होश कम था ' आखिर मायूस मेरा मन था

भूल गया था किन गलियों में " मैं था

देखा झिलमिलाती आंखों से

वो स्कूटी पे सवार मेरे बगल से जा रही थी

घर लौट जैसे आया ग्लानि 'दिल की दरारें सहला रही थी .

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15 MAR 2023 AT 15:09

मैं कोन हूँ तुम नहीं पहचानोगें ?
अंजान हूँ मैं सारी आवम को ये इहसास दिला दोगे ?
तब तुम्हारे घर के नजदीक जो मंदिर हैं उनकी दीवारें गवाही देंगी
बताओ क्या उंन्हें तुम चुप करा दोगें ?
आज भी मेरे नाम के संग तेरा नाम जुड़ंता हैं बताओ
क्या उसे तुम मिटा दोगे ? ? ?

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15 MAR 2023 AT 14:36

महिनों बाद जो दिखे फिर आज
वही रूतवा और वही अंदाज़
कसूर क्या है आखिर मेरा बता देते
मैं पालगो सा झूम जाता
इंतजार अरसों पुराना भूल जाता
बस एक नज़र तो जाना मेरी ओर देख लेते . . .

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14 MAR 2023 AT 10:45

नायाब परिंदा हूँ मैं
आसमां को बाजुओ में भरने के लिए ही बना हूँ मैं

तो क्या हुआ अभी उडान नहीं भरा हूँ मैं
ऐसा नहीं हैं की ऊंचाईयों से डर गया हूँ मैं

हौसला- हूनर ये दो पंख मेरे दुरस्त कर
जमी भाप रहा हूँ मैं

सफर बेखबर हैं इसलिए खुद को उम्दा टाक रहा हूँ मैं

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28 FEB 2023 AT 18:57

बेचैनी बेचैन हो रही
उल्झन उलझ के चैन ले रहीं
आखिर हुआ क्या?
दोनों एक - दूजे से कुछ नहीं कह रहीं
खमोश मैं किनारे पे खड़ा
मैं नहीं इनके लफड़े में पडा
पीछे से कलम मेरी आवाज दे रहीं
रूको मैं इनकी खबर अभी ले रही .

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12 FEB 2023 AT 20:59

खाली-खमोश पडीं थी कलम मेरी घर में
आया था स्याही भरने तेरे दर में

कुछ कदम ही दूर था, की नजरें मेरी एक दिवार पे जा झुकीं

लिखा था उसमें इजाज़त नहीं हैं अब, आगें जाने की तेरे हक में . . .

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