Sachinz Yaduwanshi   (सचिन यदुवंशी~ 'अस्तित्व')
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__सचिन__यदुवंशी__

विघार्थी ❤🌻📖✍

09 अगस्त 🎂

⚓मनोहरपुर, झारखंड, भारत🇮🇳
Joined 29 May 2020


__सचिन__यदुवंशी__

विघार्थी ❤🌻📖✍

09 अगस्त 🎂

⚓मनोहरपुर, झारखंड, भारत🇮🇳
Joined 29 May 2020
25 FEB AT 8:37

हम शरीफ है
शराफत मे लिखते है...
हम इश्क़ को
इबादत लिखते है ।।

हम छुपे हैं खुद से
खुद से छुपा के लिखते है
हम ख़ुद ही ख़ुद को
शब्द बना कर लिखते है

हम आशिक है
आशिकी लिखते है
हम आशिकी को
अश्कों से लिखते है

हम शरीफ है
शराफत मे लिखते है.....

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11 FEB AT 21:16

कई ख्वाब सजाये बैठे थे हम इस सीने मे
अब कई राज छुपाये बैठे है हम इस सीने मे

एक आसियान बनाए बैठे थे हम इस सीने मे
अब वो आसियान तबाह कर बैठे है हम इस सीने से

कभी एक चेहरा छुपाये बैठे थे हम इस सीने मे
अब वो चेहरा मिटाए फिरते है हम इस सीने से

कभी एक जिद्दी रहा करती थी इस सीने मे
अब जिद है हमारी की ना रहे वो इस सीने मे

कई ख्वाब सजाये बैठे थे हम इस सीने मे
अब कई राज छुपाये बैठे हम इस सीने मे

🥀❤️😘

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17 JAN AT 17:55

नाराजगी आपसे थी
और नाराज हो गए हम खुद से
बदतमीजी आपकी थी
और बेअदब हो गए हम खुद से
💔🌸

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8 JAN AT 17:28

कहानियाँ उनकी है
और दर्द मुझे होता है
कोइ बेफ़िक्र सुनाता है
कोई बेहिसाब रोता है
🌸🥀

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7 DEC 2023 AT 22:14

कहानियों की तरह यहाँ किरदार बदल रहे है
ये आजकल के रिश्ते व्यापार मे बदल रहे है ।।

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25 NOV 2023 AT 23:36

मैं रोता हूँ.... सिर्फ तेरे लिए,
मैं रोया भी....तो तेरे सामने ।

मेरे आँसू है...सिर्फ तेरे लिए,
ये आँसू बहते है....सिर्फ तुझे देखकर ।

मैं निर्जीव हूँ....तेरे बगैर,
मैं जीवित....बस तुझे देखकर ।

मैं शून्य...तुझसे दूर रह कर ,
मैं अनंत हूँ....सिर्फ तेरा साथ पा कर ।

✨️💫❤️

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25 NOV 2023 AT 22:49

थोड़ी थोड़ी सी आपकी आदत लगने लगी है ।
थोड़ा थोड़ा सा हम आप सा बनने लगे है ।।

धीरे-धीरे हम आपके होने लगे है ।
धीरे-धीरे हम आप मे ढ़लने लगे है ।।

पल पल हम आपके होते जा रहे ।
हर पल हम आप होते जा रहे है ।।

✨️✨️✨️

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25 NOV 2023 AT 22:10

मेरी ज़ख्म पर निकले तेरे हर एक आँसू ......
मुझे हर वक़्त तुझे पहले से ज्यादा चाहने को मजबूर करती है ।।
❤️✨️

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8 NOV 2023 AT 23:21

उसके हर जिद्द के आगे -- मैं हार जाता हूँ ।
उसे इश्क है हमसे -- बस, यही मैं जीत जाता हूँ ।।
🌸🤍💫

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5 NOV 2023 AT 12:51

उसने बहुतों के हाथ थामे है
मैंने बस उसे दुवाओं मे माँगा है

उसने देख परख कर चुना है मुझे
मैंने बस उसे खुद से ज्यादा चाहा है

सोची समझी आशिकी है उसकी
मैंने अनजाने मे उसका हाथ थामा है

ना जाने वो कब मेरा साथ छोड़ दे
मैंने तो बस उसे अपना माना है ।

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