Sachinandan   (Sachinandan)
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I
Joined 21 April 2020


I
Joined 21 April 2020
6 SEP 2022 AT 19:32

मेरे हर जज्बात से वाकिफ हो कर!
ये तुम्हारी नजरअंदाजगी
मेरे सामने नाराजगी!
औरों के पास चेहरे पर ताजगी
..
ये तुम्हारी आँखो की लाज़मी सब ब्या करदेती है मुझे!!

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1 DEC 2020 AT 21:36

ना जाने कितने हयात-ए-शब गुजार दिए
उनके इश्क के मंसूर में।
हमे क्या पता था, बेवफाई है उनके दस्तुर में।।

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30 NOV 2020 AT 20:00

एक पल जो हाथ से गया
मानो ..सासे थम सा गया।
जिसका मुझे पल पल से इन्तजार था!
वो मेरे सामने ...
एक पल मे गुजर गया।।

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30 NOV 2020 AT 18:18

यू मेरी राहे दहन कर इतरा ना परिंदे!
मै हर इक आग से वाक़िफ हूं..
मुझे ! जलना अता है।।
बेशक...... मेरा कोई साथ ना दे !
मुझे अकेला चलना अता है।

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