Sachin Mishra   (voz interior)
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Inconclusive when you define!
First cry 6th May
Joined 30 December 2018


Inconclusive when you define!
First cry 6th May
Joined 30 December 2018
28 JAN AT 23:25

मन कुछ उलझा सा है,
दिल में एक अजीब घबराहट है।
दिमाग में अतीत की गलतियां,
और दिल में भविष्य की आहट है।
महाभारत सा चक्रव्यू है चारों ओर,
लग रहा है खुद से खुद की बगावत है।
जो करता हू वो गवारा नहीं,
जो करना है, रोकती मुझे एक अजीब थकावट है।
किस दर जाऊ, ओर किस्से बया करू खुद को,
ना अंदर राहत है, ना बाहर राहत है।

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13 JAN AT 14:18

हर दिन एक घमासान है।
जीत के लिए सब परेशान है।
"मैं" कैसे हारा! सब हैरान है।
अंत में सभी को जाना समशान है।

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12 JAN AT 22:21

ना ही हस्ती देखी, ना कारोबार देखा।
ना रखे समाज के बंधन, बस तुझमें अपना परिवार देखा।
जिसकी कोई कीमत नहीं, ऐसी है मेरी मोहब्बत...
फिर न कभी किसी को देखा, बस देखा तो तुझमें अपना प्यार देखा।।

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12 JAN AT 22:02

भौर का सूरज चढ़ता गया।
और सच्चाई सामने आती गई।

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10 JAN AT 17:22

माना एक दिन में कुछ नही बदलता।
पर ये भी सच है...
एक दिन बदलता ज़रूर है।

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9 JAN AT 20:17

बुरे वक्त ज़रा अदब से पेश आ।
वक्त नहीं लगता, वक्त बदलने में।

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9 JAN AT 13:07

कुछ नया करने से अच्छा है...
पुरानी चीजों को संभाल लो...
ये तभी मुमकिन है...
जब आप खुद के लिए थोड़ा वक्त निकाल लो।

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9 JAN AT 13:01

उनके...
अक्सर जो सिर्फ़ सोचने में वक्त ज़ाया करते है।

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9 JAN AT 12:57

That, it was never about only 'me'.

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8 JAN AT 23:02

Just keep debugging your life...

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