समझदार हैं बहुत, कभी नहीं किसी को समझाता हैं
यार मेरा वकील हैं साब, विवाद होने देता हैं,बाद पैसा कमाता हैं
मुकम्मल इश्क़ न मिला जिन्हें, वो मोहब्बत को बदनाम करते है
मैं ठहरा आशिक़, मेरा ज़ख्मो से पुराना नाता हैं
मुझसे मिलकर देख, किस मिट्टी की बनी सीरत मेरी
राब्ता नही जिनसे मेरा, क्यूं वो महफ़िल में मेरे गीत गाता हैं
इसके उसके सबके दर्द की दवा दिल्लगी हैं
रांझे का पता नही तुझे,क्यों चिरकुट सी दीवानगी पे इतराता हैं
मेरी गलती हैं जो पहचान न पाया
जो भी मिलता हैं, उसे अच्छा ही बताता हैं
नकाबपोशों से अटा-पटा शहर मेरा
फिर आईना मुझको, मुझसा क्यूँ दिखाता हैं
बहुत हैं जिम्मेदारियों का बोझ, गलतियां वाकिफ़ हैं मुझसे
मेरे अक्स से शिकायत नही,मिलता हैं जब भी, अच्छा बुरा सब सुनाता हैं
उम्मीद के लिए नन्ही किरण काफी,
वो spartan ठहरा ,तु उसे शमा क्यों दिखाता हैं.
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