ना घूंघट ही सही है, ना हिजाब सही है,
लड़कियों! तुम्हारे हाथों में, किताब सही है।।
हरा हो या भगवा हो, काला हो के हो मैरून,
ढंके इज्जत जो औरत की,वो हर लिबास सही है।
छीने जो तुमसे आज़ादी, हर शय वो गलत है,
फकत तुम ही सही हो, तुम्हारे ख्वाब सही है।
तुम बंदिशों के अंधियारों में कब तक यूं घुटोगी,
अब तो तुम्हारी आंखों में, आफताब सही है।।
अशफ़ाक की बेटी तुम, भगत सिंह की बहना हो,
हक़ छीन लो अपना, अब इंकलाब सही है!!
-भास्कर " भावुक"-
हाय, कर्ण,तू क्यों जन्मा? जन्मा तो क्यों वीर हुआ?
कवच और कुंडल-भूषित भी तेरा अधम शरीर हुआ।
धंस जाए वह देश अतल में, गुण की जंहा नहीं पहचान,
जाति-गोत्र के बल से ही आदर पाते जँहा सुजान
नहीं पूछता हैं कोई, तुम व्रती वीर या दानी हो?
सभी पूछते सिर्फ यही, तुम किस कुल के अभिमानी हो।
मगर, मनुज क्या करे? जन्म लेना तो उसके हाथ नहीं,
चुनना जाति और कुल अपने बस की तो हैं बात नहीं।
कौन जन्म लेता किस कुल में? आकस्मिक ही हैं यह बात
छोटे कुल पर किंतु, यहाँ होते तब भी कितने आघात!
हाय, जाति छोटी हैं तो फिर सभी हमारे गुण छोटे,
जाति बड़ी तो बड़े बने वे, रहे लाख चाहे खोटे।
रश्मि-रथि से साभार-
अच्छा!शादी
करेंगे यार
पहले उन्हें हमसे, मुझे उनसे मिल जाने तो दो,
दो से दो, दो से चार हाथ हो जाने तो दो
थोड़े पंगे हो, कुछ तो दंगे हो
आसानी से हासिल जो हो, उसे इश्क़ नही कहते
छुपा रक्खा हैं दर्दे ज़िगर में बताने तो दो
वो मुझसे लड़े, मुझे सबसे झगड़ जाने तो दो
अभी इतने में कैसे कहे राज़ी हैं
होने को जब सबकुछ बाकी हैं
रंजिश ही सही हमारी कोई मुलाकात तो हो
इत्तेफ़ाक़न नही,इरादातन बात तो हो
अब तक न हुआ शायद हो भी जाये
गैर हो रहगुज़र हमारी, गुजर भी जाये
अभी वक़्त हैं मेरे पास संभल जाऊंगा
वो थोड़ीकोशिश करे,मैं पूरा सुधर जाऊंगा
रुको, ज़रा सब्र करो, सब हासिल होगा
आये मेरे हिस्से वही, जो हमारे काबिल होगा
लिखने लगा है जो कह भी न पाता था
मिले उसे वही जो मेरे मुआफ़िक़ होगा-
एक क्रिकेटर जो क्रिकेट के भगवान से पहले बल्लेबाजी करने आता था,
एक क्रिकेटर जो 160 किलोमीटर/घण्टे से आ रही गेंद को अपने पैरों के पास ही रोक देता था,
एक क्रिकेटर जिसने 22 गज की पिच पर दुनिया के किसी भी बल्लेबाज की तुलना में सबसे अधिक वक्त गुज़ारा है,
एक क्रिकेटर जिसने लोगों में यह विश्वास भरा कि चाहे पूरी टीम ही क्यूँ न आउट हो जाए लेकिन ये बन्दा खड़ा रहेगा,
एक क्रिकेटर जिसे सही मायने में जेंटलमैन कहा जा सकता है,
एक क्रिकेटर जिसे मैदान पर कभी नाराज़गी जताते हुए नहीं देखा गया,
एक क्रिकेटर जिसने आईपीएल की कोचिंग को ठुकरा कर इंडिया-ए और इंडिया अण्डर-19 टीम का कोच बनकर भारतीय टीम की जड़ों को मजबूत करना बेहतर समझा,
एक क्रिकेटर जिसे वन डे में 10000 से अधिक रन बनाने के बावजूद कभी छोटे फॉर्मेट का खिलाड़ी नहीं माना गया,
एक क्रिकेटर जिसके नाम का स्टैंड नहीं बल्कि चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर एक दीवार है जिस पर लिखे तीन शब्द उन्हें पूर्णतः परिभाषित करते हैं वो शब्द हैं कमिटमेंट, क्लास और कंसिसटेंसी। किसी भी खिलाड़ी के लिए या आम जीवन में भी ये तीन शब्द आपको सफलता के एक नए सोपान पर ले जा सकते हैं
एक क्रिकेटर जिसके बारे में क्रिस गेल ने कहा था कि ये खिलाड़ी मेरी तरह आक्रामक पारी तो खेल सकता है लेकिन मैं इसकी तरह बिल्कुल भी नहीं,
एक क्रिकेटर जिसने टीम की परिस्थिति को देखकर हर तरह की भूमिका स्वीकार की
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सभी प्रेमी नहीं करते हैं प्रेम,
चटक-मटक, गोरी-चिट्टी-नखरीली प्रेमिकाओं से,
मायावी संसार में फुहड़ आधुनिकता का चोला ओढ़े,
नख-शिख आवरण पुते चिकनी-चुपड़ी कठपुतलियों से भी नहीं,
कुछ प्रेमियों को पसंद हैं आज भी
सलवार-सूट में बन-ठन चली सादगी के प्रतिरूप सी प्रेमिकाएं,
जो अपने प्रेमी के साथ चलना पसंद करे
प्रेम की अनंत गहराइयों तक....!
कुछ भी कर जाऊँगा तुम्हारे लिए
ऐसा कुछ नही करते हैं,कुछ प्रेमी,
चाँद सितारों को दामन में भरने की बात भी नही,
हां मगर,
पायल बिंदिया झुमकी कंगन बेशक़ हाजिर होंगे,
और साथ ही एक वादा,
साथ रहने का.....
हमेशा के लिए नहीं,
तब तक के लिए,
जब तक की
साथ रख पाये उन्हें परिस्थितियां.
सभी प्रेमी नहीं होते एक-से
कुछ होते हैं मुझ-से भी.-
मुश्किल है पीछा करना और बेशरम होना
समझे न तुम्हे,खुद को समझदार समझना
भावनाओं का क्या, पानी की लहरें हैं
किनारा स्थिर हैं, मुश्किल है जटिल होना
डगर कठिन हो तो चलने से डरते हैं सभी
क्या बहादुर हो जो खुद से कहो सरल होना
मेरी चाहत की मैं वजह,मुकम्मल हो उसका हासिल होना
मँझदार मैं हैं वो, किस ओर कैसे काबिल होना
जो मिल सके मुझे तो हर हाल में दे मुझे
दफ़न कर मुझे,नहीं तो काफ़िर हैं होना-
समझदार हैं बहुत, कभी नहीं किसी को समझाता हैं
यार मेरा वकील हैं साब, विवाद होने देता हैं,बाद पैसा कमाता हैं
मुकम्मल इश्क़ न मिला जिन्हें, वो मोहब्बत को बदनाम करते है
मैं ठहरा आशिक़, मेरा ज़ख्मो से पुराना नाता हैं
मुझसे मिलकर देख, किस मिट्टी की बनी सीरत मेरी
राब्ता नही जिनसे मेरा, क्यूं वो महफ़िल में मेरे गीत गाता हैं
इसके उसके सबके दर्द की दवा दिल्लगी हैं
रांझे का पता नही तुझे,क्यों चिरकुट सी दीवानगी पे इतराता हैं
मेरी गलती हैं जो पहचान न पाया
जो भी मिलता हैं, उसे अच्छा ही बताता हैं
नकाबपोशों से अटा-पटा शहर मेरा
फिर आईना मुझको, मुझसा क्यूँ दिखाता हैं
बहुत हैं जिम्मेदारियों का बोझ, गलतियां वाकिफ़ हैं मुझसे
मेरे अक्स से शिकायत नही,मिलता हैं जब भी, अच्छा बुरा सब सुनाता हैं
उम्मीद के लिए नन्ही किरण काफी,
वो spartan ठहरा ,तु उसे शमा क्यों दिखाता हैं.
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तारीखें बदली हैं हालात नहीं
पन्ने बदले हैं औक़ात नहीं
हालात और औक़ात बदले कुछ ऐसा बवाल करेंगे
जब कभी ये 'दीन' बदले ,तब से नया साल लिखेंगे-
हैं शर्म हमे आती नही, हम बेशरम के फूल हैं
जहाँ फेंक दिया वही डटकर खड़े, इस बात की तो भूल है
हे गुलाब!तुम बताओ, तुम्हें किस बात से इंकार हैं
हो बेशरम के बराबर, तब तुम्हे धिक्कार हैं
टूटता हूँ,बनता हूँ, हर बार बार निखरता हूँ
हाथों में गुलाब, मेरे पैरों तले शूल हैं
एक आके गयी, दूजी सीखा के गयी
दोनों रस्ते आओ, तो पूछने का अधिकार हैं
जो आखिर तक रहोगे, ख़रा सोना मिलेगा
तुम कुछ और ही बने, वो किसी के तलबगार हैं
मेरी मुझसे न बने ,तो मुझसे न मिला
मैं मुझसे जो मिला, दिल टूटता हर बार हैं
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