करवटे बदल बदल कर काटी रातें
नींद न जाने किसके ख़्वाब देखती रही
-
Sachin Verma
(सचिन वर्मा)
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लखनऊ 🇮🇳
Joined 29 April 2018
8 OCT 2018 AT 13:51
झूठ नहीं है ये
अल्फ़ाज़ जो बुनता हूँ
बीता है जो कल मैं
जज़्बात वो लिखता हूँ-
26 SEP 2018 AT 15:33
मोहब्बत की थी हमने भी
ज़िन्दगी सवारने के ख़्वाब में
याद करते है आज भी उनको
दे गये जो हमें सजा प्यार की-
22 SEP 2018 AT 9:00
मोहब्बत पूरी हो जाये तो समझना कहानी थी
यहाँ तो सिर्फ दर्द ही मुकम्मल होता हैं-
15 SEP 2018 AT 0:07
परेशान है ज़िन्दगी
अपनो से ही धोका खायी है ये
लूटा कभी अपना बना के
कभी गैरो की तरह रूलाया है यू
दर्द दे के हजारों सितम
दिल के टुकड़े करके नचाया कभी
रूठ सकते नहीं हम उनसे कभी
रिश्तो में है यू उलझाए सभी-
30 AUG 2018 AT 17:09
वक़्त के फैसलों से
लड़ना सीख ले मुसाफ़िर
यहाँ अधूरी मोहब्बत भी
बदनाम हो जाती पूरी होते होते-