20 OCT 2017 AT 11:42

मैं मन्दिर ईश दर्शन को, सवेरे शाम जाता हूँ।
भक्ति रस में डूबा गीत उसके नाम गाता हूँ।
मगर कल रात सपने में प्रभुजी स्वयं हो आये।
बोले साथ मेरे चलो मन्दिर घूम हो आये।
वहां मन्दिर की चौखट पर, बच्चा एक बैठा था।
फूलों से सजी वो टोकरी ले साथ बैठा था।
निगाहें ढूंढती उसकी कोई ऐसा भी आ जाये।
जितने फूल उसके पास हैं बिक्री करा जाये।
मगर सब आते जाते हैं न कोई ध्यान देता हैं।
उसके घर कमाने वाला वो अकेला बेटा हैं।
जो मुझसे प्यार करते हो तो ऐसा कर जाना।
किताबें दे के उंगली थाम कर स्कूल ले जाना।

- ✍️ सचिन राजपुरोहित