Sachin Raghav A Learner   (A Learner)
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Joined 31 October 2019


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6 AUG 2022 AT 14:25

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6 AUG 2022 AT 14:23

शिव दुआ शिव दवा शिव सर्वशक्तिमान हैं,
शिव कुआ शिव तड़ाग शिव ही वरदान हैं,
शिव हवा है शिव नशा है शिव त्राहीमान है,
शिव रज़ा शिव सुबह शिव ही परम ज्ञान है।।

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6 AUG 2022 AT 14:22

दिखा दूँ रूप प्रचंड उसको जो मुझसे अंजान है,
कर दूँ उसको धराशायी जो भी शक्तिमान है,
सुन ले ए समाज तु जो मुझको कम आंकता है,
मैं नारी हूँ और इसपर मुझे मान है अभिमान है।।

मेरा कद शुरू जमीं से अंत ऊपर आसमान है,
मेरी शक्ति मेरा गौरव ही बस मेरा सम्मान है,
अपना सुख न्यौछावर कर दुख समेट लेती हूँ,
मेरी नज़र ममता भरी मेरा गहना बलिदान है।।
मैं नारी हूँ और इसपर....

मेरी शक्ति मेरा गौरव अगर टूटे तो त्राहीमान है,
मेरी आशा बने निराशा कयामत का आवाहन है,
क्यूँ मुझसे समाज मे मेरा महत्त्व पूछा जाता है,
मेरी कोख की पैदाइश हर चलती फिरती जान है,
मैं नारी हूँ और इसपर.....

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6 AUG 2022 AT 14:21

संस्कृति प्रतीक भारतीय रीत अनुकूलित विद्यालय,
उच्च शिक्षा उचित समीक्षा सम- तुल्यित विद्यालय,
मार्गदर्शक अतिउत्साहित विधार्थी बहु प्रतिभावान,
ज्ञान मंदिर खेल द्वार उपयुक्त अनुशाषित विद्यालय।।

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6 AUG 2022 AT 14:21

ज़िन्दगी के रास्ते पर अकेला चलना है,
क्यूं तू देखता है राह ना कोई अपना है,
करले थोड़ी मेहनत ये मंज़िल बड़ी दूर है,
जो ना की महनत तो ये जग सपना है।
ज़िन्दगी के रास्ते पर..........
पल पल निकले समय जैसे हाथ से रेत है,
ज़िन्दगी है खाली खाली शायद बंजर खेत है,
हो जा तैयार तू हिम्मत ना हार तू,
मिट जाएगा दुनिया वालों के में में जो भेद है,
उठ अब और कदम बड़ा कुछ करके गुजरना है,
ज़िन्दगी के रास्ते पर.......
मेरा मेरा करता फिरता कोई ना यहां तेरा है,
सब कुछ यहां रह जाएगा तेरा दो दिन का ही डेरा है,
सब छोड़कर आंखें खोल ज़िन्दगी है ये अनमोल,
इस अंधेरी रात के बाद एक खुशनुमा सवेरा है,
छोड़ माया का मोह पगले तू भी मिट्टी में मिलना है,
ज़िन्दगी के रास्ते.......

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6 AUG 2022 AT 14:20

ज़िन्दगी के रास्ते पर अकेला चलना है,
क्यूं तू देखता है राह ना कोई अपना है,
करले थोड़ी मेहनत ये मंज़िल बड़ी दूर है,
जो ना की महनत तो ये जग सपना है।
ज़िन्दगी के रास्ते पर..........
पल पल निकले समय जैसे हाथ से रेत है,
ज़िन्दगी है खाली खाली शायद बंजर खेत है,
हो जा तैयार तू हिम्मत ना हार तू,
मिट जाएगा दुनिया वालों के में में जो भेद है,
उठ अब और कदम बड़ा कुछ करके गुजरना है,
ज़िन्दगी के रास्ते पर.......
मेरा मेरा करता फिरता कोई ना यहां तेरा है,
सब कुछ यहां रह जाएगा तेरा दो दिन का ही डेरा है,
सब छोड़कर आंखें खोल ज़िन्दगी है ये अनमोल,
इस अंधेरी रात के बाद एक खुशनुमा सवेरा है,
छोड़ माया का मोह पगले तू भी मिट्टी में मिलना है,
ज़िन्दगी के रास्ते.......

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6 AUG 2022 AT 14:19

हिम्मत नहीं हारी है मैने,
हारा अपना अभिमान है,
अभी तो मैं ज़मीं पर हूं,
पर छूना मुझे आसमान है,
एक दिन उडूंगा पंख लगाकर,
कि अभी मैं नीचे ऊपर जहान है,
आने दो तुम वक़्त मेरा भी,
पकडूंगा ऐसे,
जैसे पकड़ी जाती घोड़े की लगाम है।
..
..
कर दूंगा ये दिन दोगुने,
कर दूंगा मैं चौगुनी रात,
अकेला ही चल दूंगा सफर पर,
चाहे छोड़ दे दुनिया साथ,
मेरी हार सबको पता है,
ये नहीं है कोई बड़ी बात,
जीत ही जीत लिख दूंगा हर पन्ने पर,
ऐसी होगी मेरी ज़िन्दगी की किताब।
..
..
उगाऊंगा हरियाली ऐसी,
ना फिर कभी समसान होगा,
छोड़ दूंगा हार को पीछे,
सिर्फ जीत का गुणगान होगा,
चड़ रहा हूं परवान अभी मैं,
एक दिन मेरा मुकाम होगा,
मेरी ज़मीं जो तुमसे गहरी है,
सबसे ऊंचा आसमान होगा।

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6 AUG 2022 AT 13:57

मैं ज़िंदा हूँ भी या नहीं कोई जता तो दो,
क्या हूँ मैं क्या नहीं कोई समझा तो दो,
न आगे जाने का जुनूँ न लौटने की इच्छा,
मुझे मेरी मंज़िल है क्या कोई बता तो दो।।
मैं ज़िंदा हूँ भी या..............

सांस आती है कभी दिल थम सा जाता है,
ये आसमां और जमीं सब जम सा जाता है,
नज़रें मेरी दिन दहाड़े ही साथ छोड़ देती हैं,
चीखकर अंदर मर कोई बम सा जाता है।।
हिम्मत हाथ छोड़ रही कोई हाथ बढ़ा तो दो
मैं ज़िंदा हूँ भी या....

ये काली काली रात मुझे काली नज़र आती है,
ये दिन और दोपहरी मुझे दीवाली नज़र आती है,
अगर संग सब कुछ ठीक ही चल रहा तो फ़िर,
क्यूँ हरेक सीधी बात मुझे गाली नज़र आती है।
मैं खड़ा हूँ किस आगाज़ पर कोई बता तो दो,
मैं ज़िंदा हूँ भी या नहीं........

खुद से करता लड़ाई खुद से ही करता सवाल हूँ,
खुद को तोड़ मरोड़कर खुद में ही करता बवाल हूँ,
कभी कभी मुझको मेरा होना भी ज्ञात नहीं होता,
कभी कभी क्यूँ लगता जैसे मैं ही मेरा जंजाल हूँ।
मैं हूँ ही क्यूँ मेरे लिए अब कोई समझा तो दो,
मैं ज़िंदा हूँ भी या..........

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6 AUG 2022 AT 13:56

Zinda dafan

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6 AUG 2022 AT 13:55

रात अंधेरी है या फ़िर कोहरा छा रहा है,
या कल बीता पल फ़िर सामने आ रहा है,
ये नमी भरा मौसम क्यूँ चीख रहा है आज,
ये बारिश है या दिल बैठ गम बहा रहा है।।

ज़िंदा होता गर मैं रोज़ ही जीता ये ज़िंदगी,
मयखाने मे बैठकर क्यूँ ही पीता ये ज़िंदगी,
ख्वाब से ख्वाब जोड़ बुन रहा था ज़िंदगी,
उजड़े सारे ख्वाब व उजड़ गयी ये ज़िंदगी।।

तन्हा खड़ा हूँ सड़क के मध्य मुस्कान लेकर,
हँस रहा हूँ खुद पर क्यों अपना नाम लेकर,
सवाल गूँज रहे कानों मे और मैं चुपचाप हूँ,
शायद शोर दूर होगा मुझसे मेरी जान लेकर।।

मैं सुकूँ से जी रहा क्यूँ मेरी रूह बेचैन है,
मेरा गला सूखा हुआ पर भीगे मेरे नैन हैं,
न ढूँढता मैं जवाब किसी उठते सवाल का,
मेरे ज्वर का इलाज सचिन तू ही कुनैन है।।

सवाल लाखों हैं मेरे पर कभी सवाली न बना,
लाखों जलाये ख्वाब पर कभी दीवाली न बना,
होकर एक दिन खुश मैंने गढ़ा अपने आप को,
फूटी किस्मत मेरी कि मैं कभी कवाली न बना।।

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