हर बार हर बात समझाना मुमकिन नही
ग़ालिब......
कुछ बाते खुद भी समझनी पड़ती है।
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जितना भी लिखू, सब अधूरा है
मिलाप का बांध, एक कोहरा है
प्यार मे... read more
दुनियाभर की ग़फ़लत से घिरे हुए है हम
तुम्हे हमसे मोहब्बत है, इस गलतफेमी में पड़े हुए है हम-
प्रेम का जो गीत था अब गाना नही
बांसी के स्वर में अब गुनगुना नही
छोड़ कर चले गए जो मुझे कभी
उनकी यादों में अब जीवन बिताना नही-
छोड़कर मैं भी तुमको चला जाऊँगा
कसमे वादे मैं भी तोड़ कर जाऊँगा
सदा तुमको यही लगता रहा
मैं भी औरों की तरह निकल जाऊँगा-
दिल के तरानों से आज भी आवाज आती है...।
कर ले बात, जब वो ऑनलाइन आती है....।-
तुम ही नही रोये थे...
मैं भी बोहोत रोया था...
बिस्तर का तकिया
तुमने ही नही
मैंने भी भिगोया था...-
मैं श्याम रंग सा साँवला हूँ, वो राधा जैसी गोरी है
मैं दिल्ली का रहने वाला, वो UP की छोरी है-
जन्मदिन पर तुम्हें मैं
सौ-सौ दुआएं देने आया हूँ
रोकना चाहा मुझे
तुम्हारे तीखे वचनों ने,
फिर भी मैं उन्हें
एक तरफ रख कर आया हूँ
तुम्हारे चेहरे पर
यूँही मुस्कान बनी रहे
यही सब दुआओं का धागा मैं,
मन्नत वाले पेड़ पर बांध के आया हूँ..।-