जन्म लिए जगपालक प्रभु, भादों की आधी रात में,
ग्रह, तारे, नक्षत्र बदले, नारायण अवतार के साथ में।
काले घने मेघों ने घनघोर वर्षा कर, धरा को पवित्र किया,
बिजली की चकाचौंध ने उजाला, मेघों ने शंखनाद किया
प्रकटे प्रभु देवकी-वासुदेव समक्ष, दुराचारी कंस के कारावास में,
हर्षित हो वासुदेव बोले, बस जी रहे प्रभु आपकी ही आस में।
प्रकाशपुंज संग नारायण, कारावास से अंतर्ध्यान हुए,
देवकी-वासुदेव सब भूल के, सपना समझ हर्षित हुए।
देवकी की कोख का प्रकाश, निशा में कारावास चकाचौंध किया,
वसुदेव बोले प्रिय!, पद्म नारायण प्रभु ने ही, ये चमत्कार किया।
चितचोर, मुरलीधर के, आगमन की घड़ी अब आ गई,
तिथि है अष्टमी, भादो महीने की आधी रात आ गई।
देवकी की कोख से अवतरित हुए, श्री प्रभु सुंदर "बाल रूप" में,
आकाशवाणी हुई नंद घर ले जाओ, मैं जन्मी बालिका रूप में।
महामाया के प्रभाव से, बेड़ियाँ संग सब ताले खुल गए,
पहरेदार सोये घोर निद्रा में, देख वासुदेव स्तब्ध रह गए।
"मन-मोहन कान्हा" बाल रूप, वासुदेव सूप में रख चल दिये,
मनमोहिनी छवि की झलक को, प्रकटे देव संग पुष्प वर्षा किये।
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