मै बेखबर रात भर लिखता रहा,
दर्द का बाजार मेरे नाम से बिकता रहा,
मायूस होकर कलम न छोड़ दू कहीं,
वो चांद की तरह सितारों में छिपता रहा।-
Sachin Kumar
(Sachiiinkumar)
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आचार्या देवो भवः
Birth- 2 August
Astrophile☄️
Science⚛️
Somewhere In World🌍
In Life: {(Findin... read more
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Joined 9 July 2020
3 OCT 2024 AT 0:16
6 FEB 2024 AT 12:07
सुंदरता की दुकान हो तुम,
किसी की चाहत का मकान हो तुम,
ढलता है जब सूरज चांदनी के साथ
उस मोहब्बत की शाम को तुम।
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16 APR 2023 AT 9:25
इंसान एक ऐसी शख्सियत है जो हर दौर में खुद को बेहतर बनाने के लिए कत्लेआम करता आया है।
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5 AUG 2022 AT 23:25
मैं बदल सकता हु
लेकिन चाहता नही,
क्यूं??
क्योंकि उसके बाद
शायद मैं खुद को
पहचान न पाऊं...🖊️🖊️-
24 MAR 2022 AT 9:11
वो फूल बहारो की मैं भौरा मौसम का,
वो बूंद बहारो की मैं बारिश सावन का।-