कांपते लबों पर किसी और के साये होगें
मुद्दतो बाद मिलकर भी हम पराये होगें ।-
और भी हुस्न ए पशेमाँ था परस्तिश के लिए
पलकों ने सजदा किया तुम्हारी ख़्वाहिश के लिए ।— % &-
अमीरी करवटें बदलती है संगमरमर के घर में
मजदूर बेफिक्र सोता हैं पत्थरों के बिस्तर में ।
वक्त कहाँ बदलता है साल के गुज़र जाने से
बस तारिख ही तो बदलती है कैलेंडर में ।-
मेरा वो तुमसे करना बेमतलब की बातें
एक मासूम चेहरा और आख़िरी मुलाक़ाते ।-
सर्द आंँखों में आंँसू लिए ग़म ए दिसंबर रहेगा
मगर उम्मीदों का जनवरी मुसर्रत ए ख़बर कहेगा ।-
तुम्हारी जुदाई का हमको कोई रंज नहीं
ये मेरा गांव है, गोमतीनगर, हज़रतगंज नहीं ।
तुमने हमको कभी अपना समझा ही नहीं
सच कहूं ये दिल की बात है , कोई तंज़ नहीं ।-
शायद यही है अब किस्मत के भी इरादें
तुम नहीं , साथ रहेगी सिर्फ तुम्हारी यादें ।-
अमीरी के शज़र - तले ही दिवाली है
गरीबों का चूल्हा तो आज भी खाली है ।
हर आंगन में रौशन हो खुशियों का दीया
ये तमन्ना तो आज भी ख़्याली है ।-
फिर मिलेंगे अगर लिखा होगा तक़दीरों में
आंखें तुम्हें ढूंँढ़ा करेगी इंस्टा के तस्वीरों में ।-