Sachin Kumar   (©Sachin Kumar)
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Joined 1 December 2018


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2 FEB AT 0:43

हमें क्या पता ऐ जिंदगी
तु इतना खुदगर्ज निकला
हम आहे भरते रहे
तु हम से जुदा निकला !

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29 JAN AT 6:02

रिश्तो की परिभाषा भी बहुत अजीब है,
कुछ अपने हो कर भी अजनबी हो जाते है,
कुछ अजनबी होकर भी अपने हो जाते है,
जिसे मान बैठे थे हम सब कुछ
अब पता चला हमें उसके जीवन में
हमारा कोई अस्तित्व ही नहीँ !

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1 FEB 2023 AT 8:47

मृदु पवण
तेरा ममतामयी स्पर्श
शीतल जल धार लिए
सुहाने सफर पर
चल पड़े ये बादल

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16 JAN 2023 AT 20:01


मुस्कुराते चेहरे बस इतना बता
तू खुशियों का खजाना हैं या इक छ्लाबा

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7 DEC 2022 AT 6:28

सब ढूंढते हैं,अपने हिस्से की खुशी
किसको क्या मिला, यह नसीब की बात है l

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12 AUG 2022 AT 7:53

Sweetest Sis, ....I pray to God that our love for each other keeps growing year after year. Happy Raksha Bandhan!

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15 JUL 2022 AT 5:16

भोर की लालिमा लिए
आवारा बादलों की अठखेलियाँ
सुन्दर सुहाना मौसम
और हवाओं में धुली दिव्यता
पछियों की मधुर स्वर लहरी
प्रकृति तेरा स्नेहपूर्ण स्पर्श
सुबह सबेरे जागने वाले
कुछ चंद लोगों को ही नसीब होता है...!!!

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9 JUL 2022 AT 6:18

धूप छाव का खेल निराला
प्यासी धरती प्यासा अंबर
उमर -घूमर घिर आओ बादल
धरती की प्यास बुझा दे बादल....!

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4 FEB 2022 AT 15:00

उमड़ घूमर धिर आए बादल
काले-काले प्यारे बादल
— % &

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25 APR 2019 AT 9:08

मैं भरी दुपहरी का तपिश,
तुम हो बारिश की बूँद प्रिये ll

मैं हूँ खार जल सा खारा,
तुम हो अमृत का कलश प्रिये ll

मैं हूँ राह में पड़ा पत्थर ,
तुम हो बगिया का फूल प्रिये ll

मैं इक कलम का स्याही हूँ,
तुम हो ढाई आखर प्रेम प्रिये ll

अजब अनोखा अपना मिलन
ईश्वर का ही है खेल प्रिये ll

-© सचिन कुमार ....🖋





















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