हमें क्या पता ऐ जिंदगी
तु इतना खुदगर्ज निकला
हम आहे भरते रहे
तु हम से जुदा निकला !-
🎂 9 April जन्मभूमि अविभाजित बिहार का
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रिश्तो की परिभाषा भी बहुत अजीब है,
कुछ अपने हो कर भी अजनबी हो जाते है,
कुछ अजनबी होकर भी अपने हो जाते है,
जिसे मान बैठे थे हम सब कुछ
अब पता चला हमें उसके जीवन में
हमारा कोई अस्तित्व ही नहीँ !-
मृदु पवण
तेरा ममतामयी स्पर्श
शीतल जल धार लिए
सुहाने सफर पर
चल पड़े ये बादल
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मुस्कुराते चेहरे बस इतना बता
तू खुशियों का खजाना हैं या इक छ्लाबा
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सब ढूंढते हैं,अपने हिस्से की खुशी
किसको क्या मिला, यह नसीब की बात है l
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Sweetest Sis, ....I pray to God that our love for each other keeps growing year after year. Happy Raksha Bandhan!
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भोर की लालिमा लिए
आवारा बादलों की अठखेलियाँ
सुन्दर सुहाना मौसम
और हवाओं में धुली दिव्यता
पछियों की मधुर स्वर लहरी
प्रकृति तेरा स्नेहपूर्ण स्पर्श
सुबह सबेरे जागने वाले
कुछ चंद लोगों को ही नसीब होता है...!!!-
धूप छाव का खेल निराला
प्यासी धरती प्यासा अंबर
उमर -घूमर घिर आओ बादल
धरती की प्यास बुझा दे बादल....!-
मैं भरी दुपहरी का तपिश,
तुम हो बारिश की बूँद प्रिये ll
मैं हूँ खार जल सा खारा,
तुम हो अमृत का कलश प्रिये ll
मैं हूँ राह में पड़ा पत्थर ,
तुम हो बगिया का फूल प्रिये ll
मैं इक कलम का स्याही हूँ,
तुम हो ढाई आखर प्रेम प्रिये ll
अजब अनोखा अपना मिलन
ईश्वर का ही है खेल प्रिये ll
-© सचिन कुमार ....🖋
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