भूखे बच्चों की खातिर
लड़ता है एक शायर भी
इक दिन ऐसा आयेगा
मीठा होगा सागर भी-
Sachin Gupta
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Joined 5 July 2017
31 DEC 2022 AT 14:02
22 NOV 2022 AT 16:22
जो साथ गुज़री उस उमर को याद करके रोते हैं
हमारे काँधे उसके सर को याद करके रोते हैं
बने हुए हैं शहर की जो जाँ वही लड़के
अकेले होते हैं तो घर को याद करके रोते हैं-
16 NOV 2022 AT 13:59
खबर है कि तुम गैर के हो रहे हो
अजब है कि आँखों में हैरत नही है
दुआ की ,दवा की ,सनम की ,खुदा की
मुझे अब किसी की ज़रूरत नही है-
15 NOV 2022 AT 10:47
माँ की इक तस्वीर लगी है
वो जिसमे कलश सम्भाले हैं
कैसे देखूंगा मै उजाला
मेरी आँखों में छाले हैं
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25 OCT 2022 AT 6:50
हमने आँखों को सिखलाया बारिश करना
तुमने तो बस पानी भरकर छोड़ दिया था-