ख़ुद से ज्यादा ख़ुद को जमाना जानता है,
खुद चाहे कैसा हो,उँगली उठाना जानता है,
©सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत-
अपने हाथों से अपनी कलम तोड़ दूँ
थक चुका हूँ एक तरफा इश्क़ करके... read more
ख़ुद से ज्यादा ख़ुद को जमाना जानता है,
खुद चाहे कैसा हो,उँगली उठाना जानता है,
©सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत
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सहमी आँखें, काँपती धड़कने, वही मायूस हाल
मैं ऐसे ठीक हूँ, आप ही मना लीजिए नया साल
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत
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क्यूँ काटते नहीं हो गिरेबां नापाक के
जब अपनी आस्तीन में ही साँप पल रहे
सरताज़ देश के तुम ही हो सर्वे सर्वाह
क्यूँ आँख मूंद बैठे ना घर से निकल रहे
इस तरह तो हो जायेंगी बुनियाद खोखली
दुश्मन के वार बेधड़क हैं हम पे चल रहे
ये धोलपोशी तब हैं जब खुशहाल देश हो
क्यूँ आये दिन सूटों की तुम रँगत बदल रहे
लिखके निकालते हैं"सचिन"भड़ास ए दिल
अरमान कागज़ों पे हैं, मेरे मचल रहे
© सचिन गोयल
शास्त्री नगर,गन्नौर शहर
सोनीपत, हरियाणा
04-08-2023
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Burning_tears_797-
क्या कहूँ कैसे कहूँ, जो हाल मेरा हो गया
सात वचनों में बंधा था, अब मैं तन्हा हो गया
फेरों में आते ही उसने पासा फ़ेंका चाल का
कुछ समझ ना पाया मैं, क्या है मतलब हाल का
सोचकर के नया है रिश्ता, मैं ही चुप सा हो गया
घर की रस्मों को निभाने में सभी मशगूल थे
उसको अनदेखा सा करके, कर रहे एक भूल थे
शादी की अगली सुबह ही, रूप शीशा हो गया
एक दिन जब उसके झगड़े, हद से ज़्यादा हो गये
देखकर उसका ये रूप, हम घर में सारे रो गये
दे रहा सचिन तलाक, के खत्म किस्सा हो गया
क्या कहूँ कैसे कहूँ, जो हाल मेरा हो गया,,
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत
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वर्तमान में 95 % यही हालात हैं🤨👇🤨
शादी तो कर रही हैं, पर निभाती नहीं हैं
इज़्ज़त को दो घरों की,अब बचाती नहीं हैं
पिस जाते हैं हर बार क्यूँ ,बेचारे लड़के ही
ये लड़कियाँ तरस क़भी भी, खाती नहीं हैं
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत
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बिखरती हुई जिंदगी को सँवार के रख देता है
खूब मेहनत से घर को निखार के रख देता है
इकट्ठे रहें बच्चे इसलिए उनके कदमों तक में
बाप अपनी पगड़ी तक उतार के रख देता है
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत
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आओ दिखाऊँ गंदी दिल्ली
गूंगी,बहरी,अंधी दिल्ली
चाकू गोदे, लोग रहें चुप
नारों में, पाखंडी दिल्ली
बीच सड़क पर,नाचे मौत
दिल्ली तो है, चंडी दिल्ली
तेज बड़ी रफ़्तार है इसकी
कानून के डर में, मंदी दिल्ली
"सचिन" समझ नहीं आता है
दिल्ली है या शिखंडी दिल्ली
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत
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उम्र गुजर गई,आधी मेरी
मग़र क़भी भी ख़ुशी मिली ना
यूँ तो बहारें,आँगन खेली
लेकिन कोई कली खिली ना
मैं आता हूँ पास तेरे,ले मैं फंदे पर झूल गया
अबके लिखना अच्छी किस्मत,फ़िर मत कहना भूल गया
जब तूने मुझे जन्म दिया तब,
मुझे टपकती छत दे डाली
थोड़ा बड़ा हुआ तो तूने
मुझको मोटी मत दे डाली
फ़िर सीने में मुँही ग़रीबी, का गड़ता सा शूल गया
अबके लिखना अच्छी किस्मत_____
खेल कूद की, उम्र में मुझको
जकड़ लिया मेहनत, ने आकर
बड़ा हो गया, बचपन ही में
पायी जवानी, एक उम्र गँवाकर
हालातों के हाथों रौंदा,बचपन वाला फूल गया
अबके लिखना अच्छी किस्मत _____
आख़िर इतना, ज़ालिम क्यूँ है
मुझे बता दे, "सचिन" यूँ है
मैं भी ख़ुश होकर,के देखूँ
मुझको कहदे, अबकी तू है
माफ़ मुझे भगवान तू करना,मैं भी कर ये भूल गया
अबके लिखना अच्छी किस्मत ____
उम्म,हम्म,उम्म,हम्म,हम्ममम्ममम्म
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत
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मैं थक कर लड़खड़ाया और गिर गया
क्योंकि मुझे सहारा मेरे अपनों का था
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत,हरियाणा
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